नई दिल्ली। देशभर में चौकीदार चोर है बनाम मैं भी चौकीदार की जंग के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लाखों चौकीदारों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने दो-तीन चौकीदारों से बात भी की। पीएम मोदी ने चौकीदार को चोर कहे जाने पर कहा कि हर गाली को गहना बना लेना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि चौकीदारों को गाली देने वालों को यह देश कभी नहीं भूलेगा। पीएम मोदी ने सबसे पहले देशवासियों को होली की शुभकामनाएं दीं। होली के त्योहार को चौकीदारों से जोड़ते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आपकी मुस्तैदी ही बाकी लोगों की खुशियों का कारण बन जाती है। उन्होंने कहा, साथियो, मैं सच्चे दिल से आप सबको सेल्यूट करता हूं। हर मौसम, हर परिस्थिति में आप अपने काम में जुटे रहते हैं। आपके घर पर भी चाहे जैसा भी कार्यक्रम हो आप हमेशा अपनी ड्यूटी निभाते हैं। आप सभी का दायित्व ऐसा है कि ड्यूटी ही त्योहार बन जाती है। आप की वजह से ही समाज खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
उप्र से आया सवाल चौकीदारों को अब देखा जा रहा शक की नजर से
उप्र के फरुर्खाबाद से रेनू ने पीएम मोदी से सवाल पूछा, सर मेरा सवाल है कि हम गांव के गरीब परिवार से आते हैं। इज्जत ही हमारी पूंजी है, लेकिन राजनीति के चलते हमें चोर कहा गया। जहां हम काम करते हैं, वहां हमें शक की नजर से देखा जा रहा है। क्या देश की सीमा पर तैनात जवान भी चोर हैं? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं। मैं आप सबसे माफी मांगता हूं, क्योंकि कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए बिना सोचे-समझे अनाप-शनाप बकना शुरू कर दिया। वे मेरे नाम से गाली देते तो आपका नुकसान नहीं होता, इसलिए उन लोगों ने चौकीदार को ही चोर कह दिया। यह बात यहां अटकने या रुकने वाली नहीं है। हताशा में डूबे लोग आगे भी यही करेंगे। मेरा कोई पहली बार अपमान नहीं हुआ है। नामदारों की आदत है, कामदारों का अपमान करने की।
वंशवाद से नुकसान देश की संस्थाओं को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वंशवाद की राजनीति पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि इससे सबसे अधिक नुकसान देश की संस्थाओं को हुआ हैं। मोदी ने एक ब्लॉग लिखकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि वंशवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियां कभी भी स्वतंत्र और निर्भीक पत्रकारिता के साथ सहज नहीं रही हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया सबसे पहला संवैधानिक संशोधन ‘फ्री स्पीच’ पर रोक लगाने के लिए ही था। फ्री प्रेस की पहचान यही है कि वो सत्ता को सच का आईना दिखाए, लेकिन उसे अश्लील और असभ्य की पहचान देने की कोशिश की गई। कुछ दिनों पहले ही देश ने उस डर के साय को भी देखा, जब कुछ युवाओं को कर्नाटक में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी भावनाएं व्यक्त करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां कांग्रेस सत्ता में है।