नई दिल्ली। चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने के लिए भारत और जापान एक अहम समझौता कर सकते हैं। जापान के राजदूत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मिलिटरी लॉजिस्टिक से जुड़ा समझौता हो सकता है, जिसके बाद एक-दूसरे के नेवल बेस से कई सुविधाएं मिल सकेंगी।
इस सप्ताह के आखिरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान जा रहे हैं। वह अपने समकक्ष शिंजो आबे से मुलाकात करेंगे और दोनों देशों की सेनाओं के बीच क्रॉस सर्विसिंग एग्रीमेंट उनका बड़ा एजेंडा होगा। प्रधानमंत्री मोदी और आबे के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आई है। अमेरिका के साथ मिलकर भारत और जापान हिंद और प्रशांत महासागर में नौसैनिक युद्धाभ्यास भी करते हैं। भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सू ने कहा कि दोनों देशों में मिलिटरी लॉजिस्टिक को लेकर समझौता स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा, उम्मीद है कि एसीएसए पर हस्ताक्षर करने के लिए औपचारिक बातचीत की शुरुआत होगी। यह अच्छा समय है जब हम लॉजिस्टिक के मामले में एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। इस समझौते के तहत जापान के जहाजों को भारत के नेवल बेस से कई सुविधाएं मिल पाएंगी। वे अंडमान और नीकोबार जैसे द्वीपों से भी र्इंधन और अन्य सामग्री ले सकेंगे।