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मंडियों से समूचा धान खरीदने का मुख्यमंत्री का बयान किसानों के साथ धोखा: हुड्डा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 20 2019 2:14AM | Updated Date: Nov 20 2019 2:14AM
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चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य की मंडियों से समूचा धान खरीदे जाने सम्बंधी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ब्यान को किसानों के साथ सरासर धोखा करार दिया देते हुये कहा है कि 26 अक्टूवर के बाद सरकारी एजेंसियों ने दिखावा मात्र धान की खरीद की है तथा आज भी धान कई मंडियों में पड़ा हुआ है जिसकी खरीदा नहीं की जा रही है। हुड्डा ने खट्टर को लिखे पत्र के साथ इस सम्बंध में प्रमाण के लिये मंडियों में पड़े धान के फोटो भी संलग्न किये हैं। उन्होंने सवाल किया कि कई हजार क्विंटल परमल धान जो सरकारी खरीद के इंतजार में था, मंडियों से उठकर राईस मिलों में कैसे पहुंच गया।
 
उन्होंने कहा सम्भवत: आढ़तियों ने सरकारी खरीद के भरोसे पर मंडियों से किसानों की फसल को राईस मिलों में पहुंचा दिया लेकिन अब एजेंसियों ने अपने रिकार्ड में उसे लिखने से हाथ खड़े कर दिए हैं। मंड़ी में धान की रिकार्ड को लेकर अधिकारी बेतुके तर्क देकर इस फसल को सरकारी एजेंसी के खाते में लिखने से आनाकानी कर रहे हैं।  कांग्रेस नेता ने कहा कि मंडियों का दौरा करने पर आढ़तियों और किसानों ने उन्हें इस गंभीर समस्या के बारे में बताया और समाधान करने के लिए अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि किसान को केवल वजन और रेट की कच्ची पर्ची आढ़तियों ने दी हुई है।
 
सवाल उठता है कि अब उन किसानों को पेमेंट कैसे होगी तथा राईस मिलें भी इससे अपना पल्ला झाड़ रही हैं और तर्क दे रही हैं कि इस फसल को उन्होंने सरकारी एजेंसी पर लिखवाने के आश्वासन पर लिया था। उन्होंने सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदे गए धान की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने तथा मंडियों में पड़ा धान खरीद कर किसानों और आढ़तियों की परेशानी जल्द से जल्द दूर करने की भी मांग की। उन्होंने दावा किया कि जो धान कांग्रेस शासन में पांच से छह हजार रूपये क्विंटल तक बिकता था वह आज 2200 से 2500 रूपये में बिक रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने किसान की फसल की राशनिंग कर दी है जो किसानों के साथ बेहूदा मजाक है। किसान की फसल लागत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है लेकिन सरकार उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं दे रही है।
 
जबकि चाहिए तो यह था कि किसान को मुनाफे के लिए एमएसपी से अधिक दाम मिलता। उन्होंने कहा कि यही हाल मंडियों में कपास और बाजरा है तथा किसान इसे बेचने के लिये मारा-मारा फिर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष बहुत मजबूत है किसानों को न्याय दिलाने के लिए हम सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठायेंगे।
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