औरंगाबाद। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने शिव सेना प्रमुख पर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए अवसरवादी एवं लालची होने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि सेना के दिवंगत प्रमुख बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियां पैदा ही नहीं होतीं। प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दानवे यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने एकसाथ विधानसभा चुनाव लड़ा था तथा लोगों ने इस गठबंधन को सरकार गठन के लिए स्पष्ट जनादेश भी दिया था। जालना से सांसद ने कहा,‘‘जनादेश गठबंधन के पक्ष में था लेकिन परिणाम आने के बाद सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ गये तथा कांग्रेस जैसी बिल्कुल अलग विचारधारा की पार्टियों से सरकार गठन को लेकर बातचीत भी कर रहे हैं।
’’ दानवे अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा नांदेड़ में भारी बारिश से प्रभावित गांवो को दौरा करके स्थिति का जायजा लेने के लिए यहां रविवार को आये थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने ठाकरे से फोन पर संपर्क करने की कोशिश भी की लेकिन सेना प्रमुख ने कोई जवाब नहीं दिया। वर्ष 1995 के उस चुनाव को जिसमें भाजपा-सेना गठबंधन राज्य में पहली बार सत्तासीन हुई थी, को याद करते हुए कहा कि 1995 में चुनाव जीतने के बाद बालासाहेब और भाजपा नेता प्रमोद महाजन ने तय किया था कि जिस पार्टी के अधिक विधायक चुनाव जीतकर आयेंगे उसी का मुख्यमंत्री भी होगा। इसी आधार पर 73 सीटें जीतने वाली शिव सेना को मुख्यमंत्री पद मिला जबकि 65 सीटें जीतने के कारण भाजपा को उपमुख्यमंत्री पद मिला। दानवे ने कहा कि दोनों पार्टियों को चुनाव में मिले जनादेश का सम्मान करना चाहिए।