जम्मू। प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सचिवालय में काम कर रहे 80 प्रतिशत कर्मचारी घाटी से हैं ऐसे में अब वे (घाटी के लोग) किस प्रकार की आजादी चाहते हैं? सिंह ने यहां 19 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। नवगठित जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र में सुशासन की प्रक्रियाओं को अपनाने को लेकर इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सिंह ने कहा कि जबसे तीन राजनीतिक हस्तियों (फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती) को हिरासत में लिया गया है तबसे घाटी के लोगों ने कहीं भी किसी प्रकार की हिंसा या कानून-व्यवस्था खराब होने की खबर नहीं है। डॉ सिंह ने चार अगस्त को हिरासत में लिए गए इन नेताओं एवं पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम लिए बगैर कहा,‘‘अगर लोगों की राय है और वे ऐसा महसूस करते हैं, तो इन राजनीतिक नेताओं को क्यों रिहा किया जाए, जिनकी नजरबंदी से क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद मिली है।’’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी अनुच्छेद 370 और 35ए को पांच अगस्त को समाप्त कर दिया था। साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर देश का एकमात्र ऐसा केंद्र शासित प्रदेश है जहां दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित किए जा रहे हैं। किसी भी राज्य में भी दो एम्स नहीं हैं।’’ उन्होंने पूर्वात्तर राज्यों की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर के विकास की भी बात की। उन्होंने कहा,‘‘हमारे पास चेरी पार्क, सेब पार्क क्यों नहीं हो सकते हैं, बांस पार्क को कंडी बेल्ट में विकसित किया जा सकता है क्योंकि वहां समृद्ध क्षमता है।’’