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प्रयागराज में गंगा ने पार किया खतरे का निशान,बाढ़ से अफरा- तफरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 19 2019 1:37AM | Updated Date: Sep 19 2019 1:39AM
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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है ,जिससे तटवर्तीय क्षेत्रों  में बाढ़ आने से वहां अफरातफरी मची है। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड सूत्रों  प्रयागराज में दो साल बाद गंगा ने खतरे को निशान को पार किया है। इसके पहले वर्ष 2016 में यह स्थिति बनी थी। गंगा खतरे के निशान 84.91 से 19 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिलाधिकारी भनुचंद्र गोस्वामी ने बैठक कर बाढ़ के कारण उत्पन्न हुई  से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया। गंगा प्रदूषण इकाई और जल निगम के जनरल मैनेजर पर कार्य में लापरवाही बरतने और बैठक में अनुपस्थित होने के कारण एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया। बाढ राहत शिविरों में गंदगी होने और बदबू आने की शिकायत पर जिलाधिकारी ने अपर नगर आयुक्त से स्पष्टीकरण तलब किया।
 
गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा और धौलपुर  बांधों से लगभग 26 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मध्य प्रदेश के केन, बेतवा एवं धसान नदी पर बने बांधों से पिछले दिनों छोड़ा गया लगभग 12 लाख क्यूसेक पानी भी यमुना का जलसतर बढ़ा रहा है। गंगा में कानपुर बैराज से 70 हजार क्यूसेक छोड़ा जा रहा है। नरौरा और टिहरी बांधों से भी गंगा में पानी छोड़ा जा रहा है जिससे दोनो नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। दोनों नदियों ने शहर के करीब 30 मुहल्लों  और 110 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। जिले में दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। अरैल तटबंध मार्ग से कई गावों का संपर्क टूट गया है। गलियों में सीवर का पानी भर गया जिससे दुर्गधों से लोगों का जीना मुहाल हो रहा है।
 
गंगा के किनारे के मोहल्ले दारागंज, बक्शी, छोटा बाघड़ा, बड़ा बाघड़ा, चांदपुर, सलोरी, ओम गायत्री नगर, रसूलाबाद, बेली, अशोक नगर, नेवादा, गंगानगर से हजारों लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गये। यमुना किनारे के करैलाबाग, करेली, सादियापुर, गऊघाट, कलिकका मार्ग, एवं बाजुपुर में स्थित गंभीर है। बलुआ घाट स्थित बारादरी पर नाव चलने लगी है। एनडीआरएफ की टीमें घरों में फंसे लोगों को बाहर निकाल रही हैं। शहर के नौ बाढ़ राहत शिविरों में दो हजार से अधिक लोगों ने शरण लिया है।
 
किसानों की सैकड़ों एकड़ खड़ी फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गयी। यमुना पार के महेवा, भटठा गांव, अरैल, गंजिया, देवरखा, मवैया के कछारी इलाकों में सैकडों बीघा जमीन पर फूलों के खेत पानी में डूब गये जिससे फूल मंडियों का कारोबार ठप्प सा पड़ गया है। मण्डियों में फूलों की आवक कम हो गयी है। यहां 80 प्रतिशत गुला और 20 प्रतिशत गेंदा, सफेदा, सूरजमुखी और चमेली के फूल उगाये जाते हैं। बाढ़ के कारण 60-70 प्रतिशत गुलाब की खेती नष्ट हो गयी है। यहां के गुलाब की खुशबू प्रयागराज के अलावा पड़ोसी जिला प्रतापगढ़, मिर्जापुर, कौशांबी, वाराणसी और जौनपुर तक फैली है।
 
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