लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बेवजह आधारहीन जनहित याचिकाओं के मामले में कड़ा रुख अपनाया है । न्यायालय ने पावर कारपोरेशन में कथित गड़बड़ियों की जांच कराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका को पोषणीय न होने के आधार पर खारिज कर दिया है । अदालत ने सेवा सम्बन्धी मामलों को जनहित याचिका में चुनौती देने को गलत भी माना है । यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल एवं न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए आज यह आदेश दिए।
जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि यूपी पवार कारपोरेशन विभाग में कई अनेक नियुक्तियां गलत है । यह भी कहा गया था कि विभाग में काफी अन्य गड़बड़ियां भी है जिनकी सीबीआई जांच कराई जाए। जनहित याचिका का कड़ा विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने अदालत को बताया कि यह याचिका पोषणीय नहीं है क्योंकि इसमें सेवा सम्बन्धी मामले को उठाया गया है । यह भी कहा गया कि याचिका के समर्थन में याची ने कोई अहम साक्ष्य भी नहीं दिए गए है । कहा कि निजी स्वार्थ वश ऐसी याचिकाएं प्रस्तुत की जाती है । अदालत ने याचिका खारिज कर दी है ।