सिरसा। हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल रहे इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को आज एक और सियासी झटका लगा जब सिरसा जिले के रानियां विधानसभा हलके से विधायक रामचंद्र कंबोज ने पार्टी को अलविदा कह दिया। कंबोज ने इसकी जानकारी सोशल साईट ट्विटर पर अपने लेटर हेड पर 15 जुलाई को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष को लिखा पत्र जारी कर की है। इनेलो के पास अब 19 में से मात्र 5 ही विधायक शेष रह गए हैं। अगस्त माह में मानसून सत्र में इनेलो से विपक्ष नेता का दायित्व छिन जाने से अब दूसरे नंबर के दल कांग्रेस ने यह पद हथियाने के लिए जोड़तोड़ शुरू कर दी है।
अटकलें हैं कि कंबोज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सम्पर्क में है तथा निकट समय में भाजपा का दामन थाम सकते हैं। विधायक ने जारी पत्र में कहा है कि उनका परिवार करीब तीन दशक पहले पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की नीतियों से प्रभावित होकर इनेलो से जुड़ा था पर वह पिछले कुछ महीनों से पार्टी में अंतरकलह से दु:खी और परेशान हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि चौधरी देवीलाल त्याग की मूर्ति थे, उन्होंने प्रधानमंत्री तक के पद को ठुकरा दिया जबकि आज उन्हीं के परिवार के सदस्य मुख्यमंत्री के पद को लेकर आपसी कलह कर रहे हैं, जिससे पार्टी को बहुत नुकसान हुआ है।
उन्होंने लिखा है इन हालातों में पार्टी में काम करने में असमर्थ हूं और बहुत दिनों से इन हालातों के कारण विचलित हूं। इन परिस्थितयों से दुखी हूं व भारी मन से पार्टी के तमाम पदों से त्याग पत्र देता हूं। यूनीवार्ता के फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने त्याग पत्र की पुष्टि भी की। कंबोज के त्यागपत्र के बाद इनेलो में अभय सिंह चौटाला (ऐलनाबाद), मक्खन लाल सिंगला (सिरसा), वेद नारंग (बरवाला), रंविद्र बलियाला (रतिया) व ओम प्रकाश लोहारू सीट से पांच विद्यायक ही बचे हैं।
इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष बीडी ढालिया ने बताया कि कंबोज का डाक से भेजा इस्तीफा इस्तीफा उन्हें कल मिला है। इस्तीफा मंजूर किये जाने/न किये जाने के बारे में पूछने पर वह बोले कि मंजूर की बात ही नहीं रह गई इस्तीफा दे दिया तो मंजूर ही समझो। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग टिकट के प्रलोभन में जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कार्यकर्ता आज भी पार्टी के साथ अडिग है, नेताओं के जाने से पार्टी को नुकसान नहीं होगा।
कंबोज सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के अग्रिम पंक्ति के सेवादार थे। रानियां क्षेत्र में डेरा अनुयायी व कम्बोज समाज के वोटों की बहुतायत को मद्देनजर रखते हुए इनेलो ने 2014 में उन्हें प्रत्याशी बनाया था और वह इनेलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई रणजीत सिंह, जो कांग्रेस के प्रत्याशी थे, को पराजित कर विधानसभा पहुंचे थे।