भोपाल। मध्यप्रदेश के सहकारिता, सामान्य प्रशासन एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने आज विधानसभा में कहा कि सहकारी बैंकों के कुल 28.71 लाख किसानों के ऋण माफ किए जाने हैं, जिसमें से 17.72 लाख किसानों के 6179.32 करोड़ रूपयों की ऋण माफी की गई है। उन्होंने बताया कि विधायकों के लिये गृह ऋण की सीमा को 25 लाख रूपए से बढ़ाया जायेगा तथा वाहन ऋण की सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रूपए किया जायेगा। लेपटॉप के लिये अब विधायकों को 50 हजार रूपये की राशि मिलेगी। डॉ. सिंह वित्त वर्ष 2019 20 के लिए अपने विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुयी चर्चा का जवाब दे रहे थे। उनके जवाब के बाद 3300 करोड़ रूपयों से अधिक की अनुदान मांगों को ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की गयी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सहकारी संस्थाओं में भर्ती की प्रक्रिया शीघ्र चालू की जायेगी। साथ ही वहां पर कैडर सिस्टम भी लागू किया जायेगा। सहकारी संस्थाओं से निकाले गये कम्प्यूटर ऑपरेटर्स का कार्यकाल छह माह बढ़ाया जायेगा। सभी सहकारी समितियों को कम्प्यूटराइज्ड एवं ऑनलाइन किया जायेगा। ई-ट्रेंडरिंग प्रणाली भी चालू की जायेगी। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उत्थान के लिये 51 हजार 794 सहकारी संस्थाएं पंजीकृत हैं, जिनका नियमन सहकारिता विभाग करता है। सहकारी संस्थाएँ प्रदेश के किसानों के लिये बिना ब्याज फसल ऋण प्रदाय, फसल बीमा योजना, प्राकृतिक आपदा में अल्पाधिक ऋण को मध्यावधि ऋण में परिवर्तन करने, उर्वरक वितरण, बीज वितरण, समर्थन मूल्य पर खरीदी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली संचालन आदि का कार्य करती हैं।
उन्होंने कहा कि सभी सहकारी संस्थाओं में अंकेक्षण की कार्यवाही समय पर की जायेगी। डॉ. सिंह ने बताया कि प्रदेश में पूर्व में अनेक सहकारी संस्थाओं को समाप्त कर दिये जाने के कारण हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गये। बंद की गई सहकारी संस्थाओं को पुन: चालू करने के संबंध में सरकार द्वारा कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ध्वस्त हो चुकी सहकारी साख संरचना को मजबूती देने तथा बैंकिंग प्रणाली को विश्वसनीय एवं आधुनिक बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।
डॉ सिंह ने कहा कि प्रदेश में सभी शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों की पूर्ति अभियान चलाकर की जायेगी। भर्ती नियमों का सरलीकरण किया जायेगा। खाली पड़े पदों पर भर्ती में पहले अनुकम्पा नियुक्ति को प्राथमिकता दी जायेगी। निजी उद्यमों में 70 प्रतिशत प्रदेश के निवासियों को रोजगार दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने वचन-पत्र का पालन करते हुए अध्यादेश जारी कर अन्य पिछड़े वर्ग को राज्य में आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही सरकार द्वारा आर्थिक वर्ग से कमजोर वर्ग को शैक्षणिक संस्था में प्रवेश एवं शासकीय नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। विद्यार्थियों को स्कूलों के माध्यम से ही जाति प्रमाण-पत्र बनवाकर प्रदाय किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण-पत्र बनाने में गड़बड़ी करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी।