देहरादून। उत्तराखंड के श्रीनगर और बाजपुर निकाय में कांग्रेस की जीत से लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस को संजीवनी मिल गयी है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर ईवीएम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर सभी कार्यकर्ता इस जीत से खुश हैं कि श्रीनगर और बाजपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो मंत्रियों का जादू नहीं चला और जनता ने धन सिंह रावत और यशपाल आर्य को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में नकार दिया है। राज्यमंत्री और श्रीनगर विधायक धनसिंह रावत की प्रतिष्ठा से जुड़ी श्रीनगर नगर पालिका सीट पर कांग्रेस ने भाजपा को तगड़ी पटखनी दी। अध्यक्ष पद पर कांग्रेस की पूनम तिवारी ने 638 वोटों के अंतर से भाजपा की सरोजनी रावत को हराया। कांग्रेस प्रत्याशी को 4413 जबकि भाजपा प्रत्याशी को 3775 वोट मिले। कुल छह प्रत्याशियों में से तीसरे नम्बर पर निर्दलीय प्रत्याशी आशा मैठाणी उपाध्याय और चौथे पर निर्दलीय तौर पर भाजपा की बागी प्रत्याशी पूर्णकला जैन रही।
बाजपुर नगरपालिका अध्यक्ष पद पर लगातार तीसरी बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह लगभग 3000 वोटों से भाजपा प्रत्याशी राजकुमार को हराकर जीत गए। नगर पालिका बाजपुर के कुल 13 सभासद पदों में से तीन पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। नगरपालिका के कुल सात पदों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। गुरजीत सिंह को कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार बाजपुर नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी बनाया था। इस बीच दो निकायों में मिली जीत पर रावत ने फिर ईवीएम पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि जब भी मुहर का इस्तेमाल होगा तो जनता कांग्रेस के सिद्धांतों पर मुहर लगाएगी। मगर मशीन का क्या है, मशीन वाचाल हो जाती है। साफ है हरीश रावत का कहना है कि बैलेट से कांग्रेस की जीत पक्की है जबकि ईवीएम संदेह के घेरे में है।