पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड(जदयू) ने मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) पर आरोप लगाया कि नोटबंदी से कुछ दिन पूर्व राज्य के जिला मुख्यालयों में पार्टी कार्यालय के लिए जमीन खरीद में नगद भुगतान किया गया था जिससे यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री के नोटबंदी का निर्णय गुप्त नहीं था और इसकी घोषणा करने के पहले पार्टी और अन्य चहेते लोगों को जानकारी दी गयी थी। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार और संजय सिंह ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा
कि भाजपा विधानमंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कुछ दिन पूर्व ही यह दावा किया था कि उनकी पार्टी ने कार्यालय खोलने के लिये जिला मुख्यालयों में जमीन की खरीद के लिए आरटीजीएस से भुगतान किया था। उन्होंने कहा कि नये तथ्य सामने आने से श्री मोदी के दावे की पोल खुल गई है
और अब यह स्पष्ट है कि जमीन खरीद के लिये कुल दो करोड़ दो लाख रूपए का नगद भुगतान नोटबंदी के पूर्व किया गया। जदयू नेताओं ने कहा कि बगहा,भभुआ,किशनगंज,लखीसराय,छपरा,सीतामढ़ी और सासाराम में पार्टी कार्यालय के लिए जमीन खरीदने के लिए कुल दो करोड़ दो लाख रूपए का नगद भुगतान किया गया जबकि शेष राशि का भुगतान आरटीजीएस और अन्य माध्यम से हुआ।
उन्होंने कहा कि भाजपा को यह बताना होगा कि इतनी बड़ी राशि का स्रोत क्या है और कैसे नोटबंदी के ठीक पहले पार्टी ने जिला मुख्यालयों में जमीन की खरीद की। नेताओं ने भाजपा से बिहार की जनता से माफी मांगने की मांग करते हुए कहा कि जमीन खरीद में इस्तेमाल किये गये धन से संबंधित सारे बैंक खाते और कागजात को सार्वजनिक की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तो यह स्पष्ट हो गया है कि नोटबंदी महज एक ढोंग है और भाजपा के नेताओं समेत अन्य चहेतों को इसकी पूर्व जानकारी थी।