नई दिल्ली। दक्षिण अमेरिकी देश पनामा ने फार्मा, फिल्म, लॉजिस्टिक और बैकिंग एवं वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भारतीय कारोबारियों को आमंत्रित करते हुए कहा है कि दोनों देश आर्थिक, औद्योगिक एवं वाणिज्यिक सहयोग बढ़ाकर आपसी संबंधों के नये आयाम छू सकते हैं। शिष्टमंडल के सदस्यों ने सोमवार को यहां एक कारोबारी बैठक ‘पनामा मीट इंडिया’ में कहा कि पनामा की भौगोलिक स्थिति का भारतीय उद्योगपति लाभ उठा सकते हैं। शिष्टमंडल का नेतृत्व भारतीय मूल के पनामा नागरिक एवं भारत- लैटिन अमेरिकी वाणिज्य मंडल के उपाध्यक्ष प्रभाकरण सरन कर रहे हैं।
शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों में भारतीय मूल के छह उद्योगपति भी शामिल हैं जो अब पनामा के नागरिक हैं। यह शिष्टमंडल लगभग दो सप्ताह तक भारत यात्रा पर रहेगा और विभिन्न हिस्सों में जाकर भारतीय कारोबारियों के साथ निवेश और व्यपार के सहयोग पर बातचीत करेगा। भारत में पनामा के तृतीय राजदूत रिकार्डो ए. बेरना एम. ने कहा कि पनामा भारतीय उद्योगपतियों को सुरक्षित एवं कारोबार के अनुकूल माहौल उपलब्ध कराता है।
यह एक मात्र देश है जो दो महासागरों अटलांटिक और प्रशांत को जोड़ता है। मात्र 45 मिनट एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के आपसी रिश्ते बहुत पुराने हैं और इनमें व्यापक संभावनायें मौजूद हैं। दोनों देशों के कारोबारियों को इनको देखना चाहिए। इससे दोनों देशों को लाभ होगा। बेरना ने कहा कि भारत के मुकाबले पनामा का भौगोलिक आकार भले ही छोटा है लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसका योगदान बहुत बड़ा है।
वित्तीय और बैेंंिकग सेवा, लॉजिस्टिक और अन्य क्षेत्र में भारतीय कारोबारी पनामा के अनुभव का लाभ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फार्मा, सूचना प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारतीय उद्योग पनामा में कारोबारी गठबंधन कर सकते हैं। इससे दोनों पक्षों को फायदा मिलेगा। शिष्टमंडल के सदस्य एवं पनामा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय में निवेश प्रबंध विभाग के निदेशक हरदीप भुल्लर ने कहा कि पनामा भारतीय कारोबारियों के लिए अनुकूल निवेश स्थल है। इस देश में विनिर्माण इकाई स्थापित करने से वे दुनिया के प्रत्येक कोने में आसानी से पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि पनामा में दक्षिण अमेरिका क्षेत्र के सबसे ज्यादा भारतीय रहते हैं जो इसका सबूत हैं कि यह देश भारतीयों के लिए सुरक्षित है।