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परीक्षा के तीसरे दिन भी रहा गहमागहमी का माहौल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 23 2019 7:02PM | Updated Date: Sep 23 2019 7:02PM
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जींद। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से आयोजित लिपिक पद की परीक्षाएं आज शाम को तीसरे दिन समाप्त हुईं पर आज भी काफी गहमागहमी का माहौल बना रहा। 200 से 250 किलोमीटर दूर से सफर तय कर परीक्षा देने वाले परीक्षार्थीयों के लिए यह जैसे जिंदगी की जंग बन गई और किसी ने फुटपाथ, तो किसीने रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर रात बिताई। अधिकांश परीक्षार्थियों ने  गंतव्य तक पहुंचने के लिए बसों से लटक या धक्का-मुक्की के बीच बसों में सफर तय किया। परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने पर जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है। जींद शहर में 38 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। 

तीन दिन की परीक्षा परीक्षा को लेकर सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। कोई भी परीक्षार्थी किसी प्रकार के इलैक्ट्रोनिक डिवाइस का प्रयोग न कर सके, इसके लिए जैमर लगाए गए थे। जींद में परीक्षा के सही संचालन को लेकर एसडीएम सत्यवान मान नियमित रूप से पुलिस के अधिकारियों के साथ बनाए गए परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण करते रहे। प्रात: कालीन सत्र की परीक्षा सही समय पर शुरू हुई। दोपहर बाद सांयकाल सत्र की परीक्षा शुरू हुई। परीक्षा केंद्र दूर बनाए जाने से पहले ही परीक्षार्थी परेशान थे। किसी तरह परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे तो परेशानी वहां भी समाप्त नहीं हुई। परीक्षा के लिए पहले परीक्षा केंद्र को ढूंढना, फिर प्रवेश के लिए लंबी लाईन में लगना। 

पहले चरण में अपनी आईडी व रोल नंबर को लेकर जांच से गुजरना, फिर गहनता से तलाशी देना। उसके बाद रूम तक पहुंचने की प्रक्रिया थी जहां पर भी परीक्षार्थीयों को कई जांच चरणों से गुजरना पड़ रहा था। यानी परीक्षार्थीयों को आधे से एक घंटे तक लाईनों में लगा रहना पड़ा। महिला परीक्षार्थीयो के कानों की बाली, कंगन, अंगुठियां निकलवाई गई तो पुरुष परीक्षार्थीयों को भी कड़ी जांच से गुजरना पड़ा। जिन महिलाओं के साथ बच्चे थे वे भी रोते-बिलखते नजर आए, क्योंकि बच्चों की मां परीक्षा देने में व्यस्त थी और उनके पिता उनको संभाले में। शहर में सिर्फ परीक्षार्थी और उनके अभिभावक नजर आ रहे थे। इस दौरान निजी वाहन चालकों की बल्ले-बल्ले रही। गाड़िया धड़ाधड़ बुक हुईं तो इसमें परिवहन समिति भी पीछे नहीं रहे। पहले लंबे रूटों पर 1500 से 2000 रूपये प्रति चक्कर पड़ता था। 

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