पटना। निर्माण और सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा बिहार में आज धूमधाम के साथ मनायी जा रही है। सनातन धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि उन्होंने देवी-देवताओं के लिए न सिर्फ भवनों का निर्माण किया बल्कि समय-समय पर अस्त्र-शस्त्रों का भी सृजन किया था। यही वजह है कि धार्मिक मान्यताओ के अनुसार सभी औजारों या उपकरण पर विश्वकर्मा का प्रभाव माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को 'देवताओं का शिल्पकार', 'वास्तुशास्त्र के देवता' के नाम से भी जाना जाता है। वास्तुशास्त्र के जनक विश्वकर्मा एक अद्वितीय शिल्पी थे। ऐसी मान्यता है कि अपने ज्ञान और बुद्धि के बल पर उन्होंने त्रेतायुग में सोने की लंका, द्वापर में द्वारिका और कलियुग में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की विशाल मूर्तियों का निर्माण करने के साथ ही यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण किया। ऋगवेद में इनके महत्व का वर्णन 11 ऋचाएं लिखकर किया गया है।