नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने नई शिक्षा नीति को नये राष्ट्र की आधारशिला बताते हुए बुधवार को कहा कि राज्यों से इस मसौदे के बारे में दो लाख सुझाव मिले हैं और इस नीति को जल्द ही लागू किया जायेगा। डॉ. निशंक ने यहां ‘निष्ठा’ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए यह बात कही। इसके तहत स्कूलों के प्राचार्यों एवं अध्यापकों का समग्र विकास किया जायेगा। पहले चरण में तीस लाख शिक्षकों का विकास किया जायेगा। इसके तहत योग से लेकर वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक विकास भी होगा। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरु रहा है और हमारी संस्कृति में अध्यापक का दर्जा ईश्वर के बराबर माना गया है। अब अध्यापकों को लीडर बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में शिखर पर पहुंच जायेगा।
उन्होंने कहा कि 33 साल बाद देश में नई शिक्षा नीति बन रही है, लोग इसका इंतज़ार कर रहे हैं और यह मांग कर रहे हैं इसे जल्दी लागू करें क्योंकि कई बार नीतियां बनती हैं लेकिन लागू नहीं होती है। लेकिन नई शिक्षा नीति लागू की जायेगी। उन्होंने कहा अब तक राज्यों से दो लाख सुझाव मिले हैं। डॉ. निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति नये राष्ट्र की आधारशिला होगी और अध्यापक का सर्वांगीण विकास कर नये राष्ट्र का निर्माण किया जायेगा। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक न केवल लीडर विचारक, वैज्ञानिक होता है बल्कि एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी से अधिक कठिन एक अध्यापक बनना होता हैं क्योंकि एक अध्यापक आईएएस, वैज्ञानिक और समाज सेवी आदि का भी निर्माण करता है।
डॉ. निशंक ने फ्रांस, बेल्जियम जैसे देशों की अपनी यात्राओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने उन देशों में देखा है कि वहाँ शिक्षक सबसे शीर्ष पर होता है। उन्होंने कहा अपने देश में भी शिक्षकों को शिखर पर पहुँचना है। उन्होंने यूक्रेन का उदहारण देते हुए कहा कि वहाँ 15 हज़ार एमबीबीएस छात्र भारतीय हैं और 80 से 90 प्रतिशत शिक्षक भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब यहाँ चाहेगा कि उसके छात्र अब विदेश पढ़ने न जाएँ बल्कि हमारे शिक्षक विश्व में विदेशी छात्रों को पढ़ाने जाएँ। उन्होंने कहा कि आज से शुरू हो रहा यह अभियान दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है जिसमें 90 लाख छात्रों को प्रशिक्षित किया जायेगा जिनमें से तीस लाख शिक्षकों को पहले चरण में प्रशिक्षित किया जायेगा। समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), केन्द्रीय विद्यालय आदि के वरिष्ठ अधिकारी एवं अज़ीम प्रेमजी जैसे गैर सरकारी संगठनों के अधिकारी भी मौजूद रहे।