लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) जिला प्रशासन पर भूमाफिया के साथ खड़ा होने का आरोप लगाते हुये कहा है कि सोनभद्र का आदिवासी जनसंहार पूर्व नियोजित था और हमलावारों को एक तरह से खुली छूट दे दी गयी थी। राज्य कार्यालय सचिव अरूण कुमार ने शनिवार को यहां जारी बयान में कहा है माले ने पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम ने गुरुवार को उभ्भा गांव पहुंचकर जांच पड़ताल की।
उन्होंने बताया कि जांच टीम दो दिन तक क्षेत्र में रही। उन्होंने कहा कि पूरा मामला प्रशासन की जानकारी में था, लेकिन न तो घटना से पहले न ही उसके दौरान कोई उपाय किये गये और एक तरह से हमलावरों को खुली छूट दे दी गई। योगी सरकार में भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में आदिवासियों की बेदखली की जा रही है और उनकी पुश्तैनी जमीनें हड़पी जा रही हैं।
जांच दल ने घटनास्थल का दौरा करने के दौरान मृतकों व घायलों के परिवार वालों से मिलकर संवेदना व्यक्त करने के साथ घटना की पूरी जानकारी हासिल की। कुमार ने बताया कि घायल महेंद्र की माता संतीपा देवी ने दल को बताया कि जिस जमीन को लेकर घटना हुई है, उस जमीन पर हम लोग चार पीढ़ियों से बसे हैं। पहले वहां पुराना जंगल था तब से हम लोग लगातार खेती करते आ रहे हैं। घायल रांजिदर की माता भगवंती देवी ने बताया कि घटना के दिन हम लोगों को कुछ भी नहीं पता था।
अचानक मालूम हुआ कि जमीन कब्जाने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञदत्त लगभग 32 टैक्टरों, सौ से अधिक लोगों और बंदूक, राइफल व धारदार हथियारों के साथ पहुंचकर खेत जोतना शुरू कर दिया है। जब गांव के लोग इकहट्ठा होने लगे तो उन लोगों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी। गोली से घायल होकर जो लोग गिरते थे, उन्हें वह लोग लाठी डंडों से पीट-पीट कर मार डालते थे। तक जवाहर के पुत्र राजपति ने बताया कि छह सौ बीघा जमीन पुराने को परेटिव के नाम पर है।
उक्त जमीन में पूर्व जिलाधिकारी प्रभात मिश्र ने सौ-सौ बीघा अपनी पत्नी, बहू, पुत्री के नाम करा लिया था और बाद में 2017 में गांव प्रधान को बेंच दिया, जिस पर अदालत में मुकदमा चल रहा है। उन्होंने बताया कि माले के जांच दल में राज्य सचिव के अलावा पार्टी की राज्य स्थायी (स्टैंडिंग ) मिति के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, सोनभद्र जिला सचिव शंकर कोल, ऐपवा नेता जीरा भारती, राज्य समिति सदस्य बिगन गोंड़ व घोराक्षेत्र के पार्टी नेता विजय कोल प्रमुख रूप से शामिल थे।