अपराजिता के ऊपर बहुत ही सौन्दर्यमयी पुष्प खिले रहते है ,गर्मी के कुछ दिनों को छोड़कर शेष पुरे वर्ष यह लता पुष्पों का श्रृंगार किये रहती है । अपराजिता पुष्प भेद के कारण दो प्रकार की होती है नीले पुष्प वाली तथा श्वेत पुष्प वाली । नीले पुष्प वाली को कृष्ण कांता और श्वेत पुष्प वाली को विष्णु कांता कहते हैं । अपराजिता का पुष्प सीप की भांति आगे की तरफ गोलाकार होते हुए पीछे की तरफ संकुचित होता चला जाता है
कहते हैं जो लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं उन्हें सोमवार या शनिवार के दिन किसी नदी में अपराजिता के पांच फूल बहा देने चाहिए। ऐसा करीब पांच सप्ताह तक करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से रुपए-पैसों की दिक्कत दूर हो जाती है।
ऐसा भी कहा जाता है जो लोग मनचाही नौकरी पाना चाहते हैं उन्हें देवी दुर्गा के सामने पांच टुकड़े फिटकरी और 6 अपराजिता के फूल चढ़ाने चाहिए और उसके बाद अगले दिन इन फूलों को अपने पर्स में रख लेंन चाहिए। इससे नौकरी मिल जाती है।
कहते हैं सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु, शिव और मां दुर्गा को नीले रंग के अपराजिता के फूल अर्पित कर देना चाहिए क्योंकि इससे सभी देवी-देवता प्रसन्न हो जाते हैं और लाभ ही लाभ होता है।
ऐसा भी कहते हैं जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है या वैवाहिक जीवन में दिक्कतें आ रही है उन्हें किसी सुनसान जगह में मिट्टी के अंदर पांच अपराजिता के फूल दबा देने चाहिए और दबाते समय लकड़ी का हथियार उपयोग करना चाहिए।
ऐसा मानते हैं जिनके घर में बरक्कत नहीं हो रही हो उन्हें मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण को नीले रंग का फूल चढ़ा देना चाहिए क्योंकि इससे लाभ होता है।