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Astrology

पुत्रदा एकादशी व्रत : संतान प्राप्ति के लिए आज ऐसे करें पूजा...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 6 2020 11:58AM | Updated Date: Jan 6 2020 11:59AM
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आज सुबह 3 बजकर 6 मिनट से कल सुबह 4 बजकर 2 मिनट तक एकादशी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 06 जनवरी सोमवार को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है और इस व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है हर दंपत्ति अपने जीवन में एक सुदंर स्वस्थ संतान की कामना करता हैं। 
 
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के निमित्त व्रत कर, उनकी उपासना करने से व्रती को सुंदर और स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है। अगर आपकी भी ऐसी कोई इच्छा है, अगर आप भी संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं या फिर आपकी पहले से संतान है और आप उसकी तरक्की सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। साल 2020 की पौष पुत्रदा एकादशी 6 जनवरी को पड़ रही है।
 
जानें पूजा विधि और व्रत कथा। 
इस पौराणिक कथा के बारे में महाराज युधिष्ठर के पूछने में कृष्ण भगवान नें बताया कि इस व्रत की शुरुआत महीजित नामक राजा से हुई जो पुत्र न होने की जगह से परेशान था। महीजित एक प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा को पुत्र के समान मानता था। राजा सभी अपराधियों को दंड देने में पीछे नही हटता था जिसके कारण उससे प्रजा बहुत ही खुश थी, लेकिन एक वजह के कारण महाराज हमेशा दुखी रहते थें। उनका दुख के कारण था उनके बाद उनके राज्य का कोई उत्तराधिकारी न होना।
 
इसी कारण एक दिन राजा नें प्रजा से कहा कि मैने आज तक कोई बुरा काम नही किया न ही गलत तरीके से कभी धन कमाया फिर भी हमें एक पुत्र की प्राप्ति नही हुई। ऐसा क्यों है। इस बात में प्रजा बोली कि इस जन्म में तो आपने अच्छें कर्म किया शायद अगले जन्म में आपने गलत काम किया जिसकी वजह सें आपको इस जन्म में पुत्र की प्राप्ति नही हुई। इस बारें में जानने के लिए हमें वन में चल कर महर्षि लोमश से बात करनी चाहिए।
 
जब सभी वन पहुंच कर इस बारें में महर्षि से पुछा तो थोडी देर बाद वह बोले कि राजन पिछले जन्म में आप बहुत निर्धन व्यक्ति थे आपना गुजारा करने के लिए आप गलत काम करते थे। एक दिन दो दिन से भूखे आप एक सरोवर के किनारे पहुंचें तो वहां पर एक प्यासी गाय पानी पी रही थी लोकिन आप नें उसे हटा कर खुद ही पानी पीने लगे। जिसके कारण आप को पाप लगा। उस दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी थी। इसी कारण आपको पुत्र का वियोग सहना पड़े।
 
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