उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में होली पर्व से ही प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में परिवर्तन हो जाएगा। इसी दिन से बाबा महाकाल को शीतल जल से स्रान कराया जाएगा। यह क्रम आश्विन पूर्णिमा तक रहेगा। महाकाल में होलिका दहन भी सबसे पहले होता है। इसके बाद शहर के अन्य स्थानों पर होलिका का दहन किया जाता है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में वर्ष में दो बार प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में परिवर्तन होता है। इस बार होलिका दहन 20 मार्च को होगा। परंपरा अनुसार मंदिर में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से मंदिर में प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में परिवर्तन होता है। भगवान महाकालेश्वर को शीतल जल से स्रान कराने का क्रम भी शुरू हो जाएगा।
पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि बाबा की आरतियों के समय में आधा घंटा समय का परिवर्तन होता है। भगवान की दिनचर्या में परिवर्तन हो जाता है। वहीं संध्याकालीन पूजन शाम 5 बजे से ही होगी। आरतियों का यह क्रम अश्विन पूर्णिमा तक रहेगा।
होलिका दहन सबसे पहले महाकाल मंदिर परिसर में होगा
सबसे पहले होलिका दहन महाकाल परिसर में होगा श्री महाकालेश्वर मंदिर में होली का पर्व सबसे पहले मनाया जाता है। 20 मार्च को होलिका दहन होगा। अगले दिन धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा। मंदिर परिसर में पूर्णिमा पर संध्या आरती के बाद होलिका दहन विधिवत पूजन-अर्चन एवं गुलाल अर्पित कर होगा। इसी दिन महाकाल मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों के द्वारा मिलन समारोह एवं फूलों की होली का आयोजन भी किया जाता है।
यह होगा बाबा महाकाल की आरतियों का समय
प्रथम भस्मार्ती - प्रात: 4 से 6 बजे तक
द्वितीय दद्योदक आरती - प्रात:7 से 7:45 बजे तक
तृतीय भोग आरती - प्रात: 10 से 10:45 बजे तक
चतुर्थ संध्याकालीन पूजन - सांय 5 से 5:45 बजे तक
पंचम संध्या आरती - सांय 7 से 7:45 बजे तक
शयन आरती - रात्रि 10:30 से 11:00 बजे तक
(भस्मार्ती एवं शयन आरती अपने निर्धारित समय पर ही होगी।)