शांतिनिकेतन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज विश्व भारती विश्वविद्यालय के छात्रों से गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की राह पर चलते हुए शिक्षा का इस्तेमाल नवाचार के लिए करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने यहां विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर अपने संबोधन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को वैश्विक नागरिक की संज्ञा देते हुए कहा कि गुरुदेव की विरासत को आगे बढ़ाना विश्वविद्यालय के छात्रों का कर्त्तव्य और जिम्मेदारी है।
मोदी ने कहा कि गुरुदेव की विरासत केवल भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह अब भी एक वैश्विक नागरिक के तौर पर जाने जाते हैं। मोदी ने कहा, "विश्व भारती मेरे लिए एक मंदिर जैसा है, मैं यहां आचार्य के तौर पर आया हूं जो कि मेरे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यहां आने पर मुझे अपार प्रसन्नता होती है।
उन्होंने कहा, केवल डिग्रियां प्रदान करना ही काफी नहीं है बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति क्या सीखता है और आधुनिक युग में क्या प्रासंगिक है। वेद हमें सिखाते हैं कि पूरा विश्व एक घर है और गुरुदेव इस विश्वविद्यालय को पूरी दुनिया का घर बनाना चाहते थे। अफगानिस्तान में लोगों को आज भी काबुलीवाला याद है जो न केवल गुरुदेव के प्रति वहां के लोगों के दिलों में मौजूद सम्मान को दर्शाता है बल्कि उनके वैश्विक नागरिक होने को भी साबित करता है।
प्रधानमंत्री ने विश्व भारती विश्वविद्यालय से उसके शताब्दी वर्ष 2021 तक 100-200 गांवों को गोद लेने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए केन्द्र सरकार एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करने को लेकर प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हमारे साथ मौजूद हैं।
भारत और बांग्लादेश दोनों अलग-अलग देश हैं लेकिन हमारे हित एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मोदी ने कहा कि संस्कृति और जन नीति के क्षेत्र में हम एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसका एक उदाहरण बंगालादेश भवन है। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद रहीं।