श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के बीच चलने वाली साप्ताहिक बस सेवा कारवां-ए-अमन के शुरु होने के आसार नजर नहीं आ रहे है। यह बस सेवा चार मार्च से पाकिस्तान और भारत ओर से बिना किसी औपचारिक घोषणा के निलंबित है। केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख नाम से दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले के बाद से कारवां-ए-अमन बस का भाग्य अधर में लटका हुआ है। भारत और पाकिस्तान की सरकारों की सहमति के बाद 1947 के विभाजन के कारण बिछुड़े परिवारों को मिलाने के लिये कारवां-ए-अमन बस को सात अप्रैल 2005 को शुरु किया गया था। इस यात्रा के लिये अंतरराष्ट्रीय पासपोर्ट की बजाये यात्रा परमिट का उपयोग किया जाता है। खुफिया एजेंसियों द्वारा केवल राज्य के लोगों का नाम स्पष्ट होने बाद परमिट जारी किया जा रहा था।
नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण स्थिति और पीओके प्रशासन द्वारा अमन सेतु पुल के कुछ मरम्मत कार्य किए जाने के कारण और कुछ व्यापारियों द्वारा नियंत्रण रेखा होने वाले व्यापार का आतंकी फंडिंग के लिए इस्तेमाल किये जाने को लेकर बस सेवा को शुरू में 4 मार्च को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद अभी तक इस बस सेवा को शुरु नहीं किया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर प्रशासन ने विभाजित परिवारों के लिये चलायी जाने वाली इस सेवा को शुरु किया जायेगा या नहीं यह नहीं बताया है। इस बस के शुरु होने से पहले कश्मीर घाटी के लोग दिल्ली या पंजाब की वाघा सीमा से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर जाते थे। कुछ आतंकवादी संगठनों के विरोध के बावजूद सभी अलगाववादियों ने हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी और डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष शब्बीर अहमद शाह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की यात्रा की है।