चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफे दे चुके पांच विधायकों को विधानसभा की अलग-अलग समितियों के सदस्यों के रूप में नियुक्त करने के पंजाब सरकार के फैसले को प्रदेशवासियों के साथ किया गया ‘बेहूदा मजाक‘ करार दिया। बादल ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इस फैसले ने सभी लोकतांत्रिक नियमों को दरकिनार कर दिया है और इससे यह भी साबित हो गया है कि कांग्रेस सरकार तथा विधासभा स्पीकर पांच विधायकों के इस्तीफों पर जल्दी कोई फैसला करने के मूड में नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस इन विधायकों को शिअद के खिलाफ इस्तेमाल करती रही है तथा वह कांग्रेस की बी टीम के तौर पर काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह ने न सिर्फ एच एस फूलका, सुखपाल खेहरा और मास्टर बलदेव सिंह के जनवरी में तथा नाजर सिंह मानशाहिया व अमरजीत सिंह संदोआ के क्रमश: अप्रैल- मई में दिए इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं लिया है बल्कि सभी विधायकों को सदन की अलग-अलग समितियों के सदस्य भी नियुक्त कर दिया है। यह बात नैतिकता के नियमों के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि शिअद इस गैरलोकतांत्रिक फैसले का डटकर विरोध करेगा।
बादल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को अपने फैसले का पुनरावलोकन करना चाहिए। बादल ने कहा कि विधायकों ने नई पार्टियां बनाकर दलबदली विरोधी कानून की उल्लंघना की है। यह नए चुनाव निशानों पर चुनाव लड़ चुके हैं तथा दो विधायक तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमंरिदर सिंह की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन्हे तुरंत अयोग्य करार देना चाहिए तथा छह साल के लिए इनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा देनी चाहिए। उन्होंने पांचों सीटों को खाली घोषित कर इन पर उपचुनाव कराने की भी मांग की। शिअद अध्यक्ष ने इस्तीफा देने के बावजूद इन विधायकों के सरकारी भत्तों और सुविधाओं के इस्तेमाल के औचित्य पर भी सवाल उठाया।