सबरीमला। केरल के मंदिरों का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने कहा है कि सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर में ‘मंडला-मकराविलाक्कु’ समारोह के दौरान रजस्वला आयु वर्ग की 51महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का कोई सबूत नहीं है। केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी है कि न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के बाद 10 से 50 वर्ष की 51 महिलाओं के मंदिर में प्रवेश किया है। केरल सरकार की इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बोर्ड के सदस्य के.पी. शंकरदास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
शंकरदास ने कहा - बोर्ड के पास सरकार के दावे को सिद्ध करने के लिए कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा - हालांकि राज्य सरकार के दावे पर यकीन न करने की भी कोई वजह नहीं है क्योंकि राज्य सरकार के पास इस दावे के सबूत हो सकते हैं।’’ केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को 51 महिलाओं की सूची दी है जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के बाद मंदिर में प्रवेश किया है।
रिपोटों के अनुसार राज्य सरकार की इस सूची में महिलाओं की आयु और पुरुष श्रद्धालुओं के नाम समेत कई तरह की गलतियां है। विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष गलत आकड़े पेश किए हैं। इस बीच केरल के देवोस्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेन्द्रन ने कहा है कि समारोह के दौरान ‘वर्चएल क्यू’ प्रणाली के जरिए कुल 8.2 लाख श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन के लिए बुंिकग करायी जिनमें से 7,564 पुरुष और 10-50 आयु वर्ग की 51 महिलाएं शामिल हैं।