लखनऊ। कभी खेल विभाग के हॉस्टल में रहकर अपनी एथलेटिक्स को चमकाने वाली एशियन गेम्स मेडलिस्ट सुधा सिंह अब उसी विभाग में उप खेल निदेशक बनेंगी। सुधा हाल ही में जकार्ता एशियाई खेलों में 3000 मीटर स्टीपलचेज में भारत के लिए रजत पदक जीतकर लाई थी। वो रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गईं। इसी मौके पर जब उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह खेल विभाग में उपनिदेशक बनना चाहती हैं तो उन्होंने इसके लिए हामी भर दी।
रविवार को सुबह 11 बजे सुधा अपने पिता हरिनारायण सिंह व भाई के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची। उन्होंने मुख्यमंत्री को अपना जीता हुई पदक दिखाया। मुख्यमंत्री ने उनसे कामयाबी के सफर के बारे में पूछा। सुधा ने बताया कि किस तरह वह रायबरेली से निकलकर लखनऊ पहुंचीं और लखनऊ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकीं।
राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि जो भी एशियाई खेल में स्वर्ण पदक जीतेगा उसे 50 लाख, रजत पदक पर 30 लाख और कांस्य पदक पर 15 लाख रुपए का नगद पुरस्कार और राजपत्रित अधिकारी की नौकरी दी जाएगी। इस पर सुधा ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह खिलाड़ी हैं और खेल के विकास में ही जुटना चाहती हैं। ऐसे में उन्हें खेल विभाग में उपनिदेशक पद पर नौकरी दी जाए। इस पर वहां मुख्यमंत्री ने सुधा को उपनिदेशक बनाने के लिए हामी भरी।
रायबरेली की रहने वाली सुधा सिंह 2003 से लेकर 2009 तक लखनऊ खेल छात्रावास में रहीं। उन्होंने 2010 ग्वांगझू एशियाई खेल में स्वर्ण पदक जीता था। चार एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक स्वर्ण व तीन रजत पदक जीते। रियो ओलंपिक और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। यह उपलब्धियां दर्ज करने वाली सुधा राज्य की पहली एथलीट हैं।