नई दिल्ली। गुरुग्राम के सनसिटी स्कूल की 11वीं कक्षा की छात्रा तनिष्का कोटिया ने अंडर-16 में दूसरी अखिल भारतीय रैंक और एशियाड इंटरनेशनल डेस इचेस (एफआईडीई) या वर्ल्ड चेस फेडरेशन रैंकिंग में 5वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने शीर्ष 20 अंतरराष्ट्रीय शतरंज खिलाड़यिों में भी 19वां स्थान हासिल किया है। तनिष्का हाल ही में सर्बिया में एक त्रिकोणीय श्रृंखला में शानदार प्रदर्शन करते हुए आईएम और डब्ल्यूआईएम स्तर के खिलाड़यिों को पराजित कर स्कोरबोर्ड पर शीर्ष स्थान पर पहुंची थीं। उन्होंनेअपने स्कोर में 300 प्लस अंक जोड़ते हुए एक महीने में ही उसे 1900 से 2200 तक पहुँचा दिया। तनिष्का ने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वर्ष 2014 में स्कॉटलैंड में कॉमनवेल्थ शतरंज चैंपियनशिप में तनिष्का ने सिल्वर मेडल जीता था। तनिष्का ने 3 साल की उम्र से ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उसने अपना पहला पेशेवर टूर्नामेंट सबसे कम उम्र में जीतकर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड 2008 में दर्ज करवाया था। उसे 2013 में 'वुमन एफआईडीई मास्टर' के खिताब से भी सम्मानित किया गया था और इस खिताब को जीतने वाली वह हरियाणा की एकमात्र खिलाड़ी हैं।
उसने अबतक कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है जैसे इंडोनेशिया, ब्राजील, थाईलैंड, वियतनाम, स्कॉटलैंड, चेक गणराज्य, फ्रांस और हाल में सर्बिया में। पिछले साल उसने फ्रांस में पहला पुरस्कार जीता था। वर्तमान में उसके नाम 50 पदक हैं और अगस्त 2019 की रैंकिंग के अनुसार उसकी एफआईडीई रेटिंग 2164 है। अपनी बेटी की उपलब्धियों पर तनिष्का के पिता अजीत कोटिया ने कहा, ‘‘हम तनिष्का की उपलब्धियों से बहुत खुश हैं और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वह शतरंज और अपनी पढ़ाई दोनों को लेकर सजग है और दोनों ही जगह पूरे लगन से मेहनत करती है। उसने अपनी पढ़ाई और शतरंज के प्रति अपने जुनून के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखा है। इसी का परिणाम है कि उसने अपनी कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में आशा के अनुरूप प्रदर्शन किया। हम सनसिटी स्कूल और उसके सभी शिक्षकों के आभारी हैं कि उन्होंने इन सपनों को पूरा करने में तनिष्का की हर संभव मदद की है।’’ तनिष्का ने 6 साल की उम्र में ही अंतर्राष्ट्रीय फिडे रेटिंग हासिल कर ली थी, जबकि इस उम्र में मैग्नस कार्लसन, विश्वनाथन आनंद जैसे अधिकांश नामी खिलाड़ी शतरंज सीख ही रहे थे।
वर्ष 2010 में तनिष्का ने राष्ट्रीय अंडर 7 प्रतियोगिता में भाग लिया और कांस्य पदक विजेता रही। फिर उसका चयन राष्ट्रीय टीम में हुआ और वर्ष 2011 में ब्राजील में वर्ल्ड अंडर 8 में उसने भाग लिया। इसके बाद से वह लगातार अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट / चैम्पियनशिप में भाग लेती रही और वर्ष 2013 में थाईलैंड में स्वर्ण पदक के साथ डब्ल्यूएफएम (महिला एफआईडीई मास्टर) खिताब जीता। तनिष्का ने ,‘‘शतरंज के लिए मेरे अंदर एक जुनून है। मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है और इसी का परिणाम है कि मैं राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी और एशिया में 5वीं रैंकिंग हासिल कर पाई हूँ। मैं बहुत उत्साहित हूँ और अब विश्व में नंबर एक बनने के लिए मेहनत करूंगी। मेरे पिता ही मेरे प्रेरणास्रोत हैं, उन्होंने चेस के प्रति मेरे जुनून को सराहा और हर कदम पर मेरा साथ दिया।’’पिछले साल तनिष्का को विश्व जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप 2019 के लिए चुना गया था और वह इस टूर्नामेंट को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।