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सरकार करने जा रही कानून में बदलाव - देशभर में एक समान होगी स्टांप ड्यूटी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 14 2018 10:38AM | Updated Date: Oct 14 2018 10:39AM
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नई दिल्ली। देशभर में एक समान कर प्रणाली जीएसटी को लेकर भले ही केंद्र सरकार व्यापारियों की आलोचना का सामना कर रही हो, लेकिन इसके बावजूद सरकार इससे जुड़ी एक और योजना को लागू करने की तैयारी में जुट गई है। अब सरकार पूरे देश में एक समान स्टाम्प ड्यूटी दर लागू करने जा रही है, यानी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर टैक्स की दरों में एकरूपता लाने के लिए सरकार स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में बदलाव करेगी। 
 
सरकार का यह कदम पिछले साल टैक्स सिस्टम को लेकर किए गए बड़े बदलाव जीएसटी की तरह है, जिसने राज्यों और केंद्र के दर्जनों टैक्सों को एक कर दिया। स्टाम्प ड्यूटी की दर राज्यों में अलग-अलग है। कुछ राज्यों में तो यह आठ फीसदी तक है, यदि इसे लागू किया गया तो पंजाब में प्रॉपर्टी महंगी हो जाएगी और हरियाणा में सस्ती हो सकती है। पिछले साल पंजाब मंत्रिमंडल ने रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए शहरी इलाकों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पर स्टाम्प ड्यूटी नौ से घटाकर छह फीसद कर दी थी। 
 
सरकार ने कानून को दिया अंतिम रूप 
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों ने एक सदी पुराने स्टांप ड्यूटी एक्ट में बदलाव कर, उसे अंतिम रूप दे दिया है। जानकारी के मुताबिक प्रस्ताव पूरी तरह तैयार है और संशोधन के साथ बिल को शीतकालिन सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। साथ ही केंद्र ने आश्वासन दिया है कि राज्य के राजस्व का ख्याल रखा जाएगा। 
 
जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था
जमीन खरीद से जुड़े लेन-देन और फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट्स पर स्टांप ड्यूटी लगती है, लेकिन इसे अभी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था। बिल्स आॅफ एक्सचेंज, चेक, लेडिंग बिल्स, लेटर्स आॅफ क्रेडिट, इंश्योरेंस पॉलिसीज, शेयर ट्रांसफर, इकरार-नामा जैसे वित्तीय साधनों पर स्टांप ड्यूटी संसद से तय होती है। हालांकि, अन्य वित्तीय साधनों पर स्टांप ड्यूटी की दर राज्य दर करते हैं।
 
सरकार को उम्मीद
सरकार को उम्मीद है इस कदम से इज आॅफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। केंद्र और राज्य सरकारों ने एक सदी पुराने स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में बदलाव कर उसे अंतिम रूप दे दिया है। जानकारी के मुताबिक, संशोधन के साथ बिल को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। 

इसलिए उठाया जा रहा कदम
स्टांप ड्यूटी में भिन्नता की वजह से अक्सर लोग ट्रांजैक्शन ऐसे राज्यों के जरिये करते हैं, जहां दर कम होती है। मार्केट रेग्युलटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आॅफ इंडिया ने इससे पहले राज्यों को सलाह दी थी कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने वाले फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर स्टांप ड्यूटीज को एक समान बनाएं या माफ कर दें।  एक समान स्टांप ड्यूटी रेट के लिए 1899 के कानून में बदलाव के लिए प्रयास पहले भी हुए हैं, लेकिन राज्यों ने इस अपील को खारिज कर दिया, क्योंकि वे स्टांप ड्यूटी पर अधिकार खोना नहीं चाहते।
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