मुंबई। बीते डेढ़ महीनें से डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपए में करीब 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रुपया ही नहीं बल्कि कई देशों की करेंसी में डॉलर के मुकाबले गिरावट देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में तमाम एशियाई करेंसी के मुकाबले रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला करेंसी बन गया है।
टूट सकता है विदेशों में पढ़ने का सपना
डॉलर के मुकाबले रुपए में इस बड़ी कमजोरी के बाद अब विदेशों में पढ़ने का सपना देखने वाले भारतीय युवाओं का सपना टूटते हुए दिखाई दे रहा है। रुपए की इस खराब हालत के बाद उन परिवारों के लिए चिंता बढ़ गई है जिनके बच्चे फिलहाल विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि डॉलर के मुकाबले रुपया 78 से 79 के स्तर पर चला जाता है तो इससे विदेशों में पढ़ाई 20 फीसदी तक महंगा हो सकता है। फिलहाल अमरीका में एमबीए की पढ़ाई 5.5 लाख रुपए महंगाी और स्नातक के कोर्स भी 2.5 से 3 लाख रुपए तक महंगी हो चुकी है।
रुपए में गिरावट से निर्यातकों को हो रहा फायदा
गौरतलब है कि लगातार तीन दिनों तक चले मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में समीति ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदला नहीं करने का फैसला लिया था जिसके बाद ब्याज दर अभी 6.50 फीसदी के स्तर पर बरकरार है। रुपए की इस गिरावट से एक तरफ निर्यात करने वाले सेक्टर में रौनक देखने को मिल रही है तो वहीं आयात से भारत को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल निर्यात करने पर डॉलर के मुकाबले अधिक रुपए मिल रहा वहीं आयात के लिए अधिक खर्च करना पड़ रहा है। अयात बिल व निर्यात बिल में अंतर बढ़ने से रोजकोषिय घाटा भी बढ़ता जा रहा है।