नई दिल्ली। लगातार कमजोर हो रहा रुपया मोदी सरकार के लिए मुसीबत बन गया है। इसे देखते हुए सरकार आने वाले दिनों में कच्चे तेल का आयात घटा सकती है। सीधे तौर पर इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक दो अलग-अलग भारतीय रिफाइनर्स के जरिए यह जानकारी सामने आई है। आयात में कटौती करने का यह फैसला बताता है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और उभरते बाजारों की मुद्रा में आ रही कमजोरी उन बाजारों में तेल की मांग में गिरावट ला सकती है, जिन्हें अब तक कच्चे तेल की सबसे अच्छी खपत वाला देश माना जाता रहा है।
ब्रेंट क्रूड ने गुरुवार को 80 का स्तर पार कर लिया थाण् आज दोपहर एक बजे के आसपास डब्ल्यूटीआई क्रूड 72 और ब्रेंट क्रूड 80.34 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता देखा गया। इसने इस साल 13 फरवरी को अपने निचले स्तर से 30 फीसदी तक का उछाल दर्ज कराया है। वहीं रुपए में इसमें 46 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।
भारतीय रुपए ने डॉलर के मुकाबले हाल ही में 72.98 का स्तर छू लिया था। भारतीय रिफाइनरों को कच्चे तेल के लिए भुगतान डॉलर में करना होता है और अगले साल आम चुनाव से पहले बढ़ती आयात लागत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए चिंता की बात है। देश की तेल रिफाइनरी के अधिकारियों ने यह फैसला 15 सितंबर को हुई एक मीटिंग में लिया था। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि सबसे पहले वे कच्चे तेल की खरीद कम करने वाले हैं।