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उत्तराखंड से होगी औद्योगिक भांग की खेती की शुरुआत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 24 2018 11:34AM | Updated Date: Sep 24 2018 11:40AM
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नई दिल्ली। भांग के उत्पादों की उद्योगों में बढ़ती मांग को देखते हुये उत्तराखंड में इसकी खेती की शुरुआत हो रही है तथा इंडियन इंडस्ट्रीयल हेम्प एसोसिएशन ने पूरे देश में इसका विस्तार करने की मांग की है। एसोसियेशन ने कहा कि ऐसा करने से किसानों से आय बढ़ेगी तथा वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने में मदद मिलेगी। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में इसकी खेती की अनुमति दे दी है जिससे इस पहाड़ी राज्य के किसानों को कम लागत में भारी लाभ होगा।
 
एसोसिएशन ने कहा कि उत्तराखंड के किसान कम उपजाऊ, बंजर और बेकार पड़ी जमीन में बहुत कम लागत और परिश्रम से साल में दो बार औद्योगिक भांग की खेती कर सकते हैं। उत्तराखंड सरकार ने पायलट परियोजना के रुप में इसकी मंजूरी दी है। राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में इसकी खेती की शुरुआत की जाएगी। 
 
किसानों को मिलेंगे ये फायदे
एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित शर्मा ने दावा किया कि एक एकड़ में भांग की खेती से किसान डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक कमा सकते हैं। इसकी फसल तीन माह में तैयार हो जाती है। भांग के पोधे के रेशे से धागे, पत्तों से कागज, दवा, बीज से खाद्य उत्पाद, पोषक तत्व, तेल, जैविक आधारित प्लास्टिक तथा भवन निर्माण सामग्री आदि तैयार किए जाते हैं।
 
इससे जैविक ईधन भी तैयार किया जाता है। शर्मा ने बताया कि देश के वस्त्र उद्योग में भांग के रेशे से बने धागे की भारी मांग है और अभी चीन से एक हजार से पांच हजार टन धागे का आयात किया जा रहा है। इसके बीज में उच्च स्तरीय प्रोटीन के अलावा ओमेगा 3, 6 और 9 तत्व भी पाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी फसल है जिसमें कोई बीमारी नहीं लगती है जिसके कारण कीटनाशक की जरुरत नहीं पड़ती है।  कनाडा, यूरोप और चीन में व्यापक पैमाने पर इसकी खेती की जा रही है। 
 
बीज उपलब्ध कराने के साथ खरीदी जाएगी फसल
शर्मा ने बताया कि उनका संगठन किसानों को 600 रुपए प्रति किलो की दर से औद्योगिक भांग का बीज उपलब्ध कराने के साथ उसके खेती के वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी भी देगा। किसानों की पूरी फसल की खरीद भी की जायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुना करने की घोषणा की है लेकिन उसकी नीतियां किसानों के पक्ष में नहीं है। एक ओर देश में अफीम की खेती सीमित पैमाने पर करने की छूट दी जाती है जबकि इसके गुणों और फायदों को परखे बिना भांग की खेती को लेकर बाधायें उपस्थित की जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर जंगली भांग होती, उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। शर्मा ने कहा कि उनका संगठन उत्तराखंड के अलावा झारखंड, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में औद्योगिक भांग की खेती की अनुमति दिए जाने के प्रयास में लगा है।
 
एसोसिएशन का दावा
शर्मा ने बताया कि भांग के बने धागे में बैक्टिरिया रोधी गुण पाया जाता है जिसके कारण चीन की सेना के अंडर गारमेंट वस्त्रों में इसका उपयोग किया जाता है। मजबूती के कारण दुनिया में इसके धागे का उपयोग काफी समय से किया जा रहा है। देश के वस्त्र उद्योग में 50 हजार से एक लाख टन तक भांग से बने धागे का उपयोग किया जा सकता है। भांग की खेती वर्षा आधारित क्षेत्रों में की जा सकती है। एक एकड़ में भांग की फसल से 10 से 15 टन तक धागा तैयार किया जा सकता है। इससे आठ से दस टन बीज प्राप्त किया जा सकता है और लगभग 20 टन बायोमास तैयार किया जा सकता है। एसोसिएशन ने दावा किया कि इसके एक टन बायोमास से 380 लीटर जैविक एथेनॉल तैयार किया जा सकता है जबकि एक टन गन्ने के रस से 260 लीटर जैविक एथेनॉल तैयार होता है। 
 
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