नई दिल्ली। बैड लोन में वृद्धि से बैंकर चौकन्ना हो गए हैं और अब लोन देने के मामले में वे फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं। नतीजतन, सरकार के ढांचागत निर्माण की रफ्तार थमती जा रही है। अब सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्रालय का हाल ही देख लीजिए। इसके मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि जोखिम उठाने से बच रहे बैंकर देश में ढांचागत परियोजनाओं के निर्माण की रफ्तार रोक रहे हैं।
ब्लूमबर्ग इंडिया इकनॉमिक फोरम में बोलते हुए उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण का ठेका लेनेवालों को बैंक लोन नहीं दे रहे हैं और न ही इन प्रोजेक्ट्स को बैंक गारंटी दी जा रही है। इससे 2022 तक 84 हजार किमी से ज्यादा सड़क बनाने की योजना अधर में पड़ने का खतरा है। 'उद्योग के लिए, निवेश के लिए, ठेकेदारों के लिए, रोजगार पैदा करने के लिए और अर्थव्यवस्था के लिए हमें बैंकों से सकारात्मक समर्थन की जरूरत है।' 'वे मदद कर रहे हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया बहुत धीमी है।'
बैड लोन अनुपात में इटली के बाद भारत
हाइवेज नेटवर्क के आधुनिकीकरण की योजना के लिए खरबों रुपये के निवेश की जरूरत है, लेकिन बैड लोन अनुपात के मामले में दुनिया के 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में इटली के बाद भारत का नंबर आने से बैंकर इस सेक्टर को लोन देने से बचने की कोशिश करते हैं। गौरतलब है कि देश में बैंकों के कुल फंसे लोन का 90 प्रतिशत हिस्सा सरकारी बैंकों के खाते में आता है।
स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने मई महीने में कहा था कि लोन अप्रूव करने में बैंकर टालमटोल करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उनका फैसला गलत हो गया तो उन पर जांच बिठाई जाएगी, जैसा कि उनके कई साथियों के साथ हो चुका है। गडकरी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पिछले महीने एसबीआई से 25 हजार करोड़ रुपए लोन लिया था। फिर भी बैड लोन के बोझ तले ज्यादातर बैंकों को यह समझाना कठिन हो रहा है कि हमारे रोड सेक्टर को लोन देना बिल्कुल सुरक्षित है।