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पिंक बॉलवर्म के हमले से घट सकता है कपास उत्पादन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 14 2018 10:58AM | Updated Date: Aug 14 2018 10:58AM
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पुणे। भारतीय कपास संघ (सीएआई) के निदेशक द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस बार खरीफ सीजन में भी पिछले कुछ दिनों के दौरान पिंक बॉलवॅर्म द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाए जाने की खबरें मिली हैं। इससे किसानों पर दबाव बढ़ेगा। 
 
इस कीड़े की वजह से पिछले साल फसल को हुए नुकसान की पहचान अब तक केंद्र सरकार द्वारा नहीं की जा सकी है ताकि किसानों को नुकसान की भरपाई की जा सके। पिंक बॉलवॅर्म ने पिछले दो वर्षों के दौरान महाराष्ट्र की कपास फसल को नुकसान पहुंचाया है और तीसरी बार भी इस तरह का नुकसान हो सकता है। इस बार केंद्र सरकार ने इस कीड़े की वजह से हुए नुकसान के लिए महाराष्ट्र कपास किसानों के दावों को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। 
 
स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के नेता राजू शेट्टी ने केंद्र से नुकसान से जुड़े किसानों के दावों को ठुकराने से पहले महाराष्ट्र सरकार के साथ एक संयुक्त सर्वेक्षण कराए जाने को कहा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों को पिंक बॉलवॅर्म के हमले की वजह से पिछले दो वर्षों में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। ऐसी खबरें हैं कि केंद्रीय कृषि विभाग ने कीट के हमले से प्रभावित क्षेत्र को लेकर अनिश्चितता के संबंध में महाराष्ट्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। 
 
राज्य सरकार के अधिकारियों को आशंका है कि केंद्र नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस फंड (एनडीआरएफ) के तहत अपनी वित्तीय सहायता में कटौती कर सकता है या किसानों के दावों को संदिग्ध पाए जाने की स्थिति में कोई रकम मुहैया नहीं करा सकता है। राजू शेट्टी ने कहा किसानों को सहायता मुहैया कराने के संदर्भ में सरकारी दृष्टिकोण अनुकूल नहीं है। कीट के हमले की वजह से नुकसान पिछले दो वर्षों में काफी ज्यादा हुआ है। 
 
यहां तक कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भी किसानों को मदद नहीं मिली है। सीएआई के अनुसार महाराष्ट्र में कपास वर्ष 2016-17 (अक्टूबर से सितंबर) में कपास की बुआई 37 लाख हेक्टेयर में की गई थी जबकि उत्पादन 89 लाख गांठ था और 2017-18 में रकबा बढकर 42 लाख हेक्टेयर हो गया जबकि फसल उत्पादन घटकर 82 लाख गांठ रह गया और 2018-19 में शुरूआती संकेतों से पता चला है कि रकबा घटकर 38 लाख हेक्टेयर रह जाएगा जबकि फसल उत्पादन 75 से 80 लाख गांठ के साथ काफी कम रह सकता है।
 
महाराष्ट्र में फसल उत्पादन घटकर पूरे देश में सबसे कम रह गया। सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा का कहना है कि महाराष्ट्र में फसल उत्पादन घटकर पूरे देश में सबसे कम रह गया है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत के स्तर पर औसत पैदावार प्रति हेक्टेयर तीन गांठ है जबकि महाराष्ट्र में 2017-18 में यह प्रति हेक्टेयर दो गांठ पर रहने का अनुमान है जो सबसे कम है। सीएआई के निदेशक मनीष डागा ने यह सर्वेक्षण किया है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस साल भी पिंक बॉलवॅर्म की समस्या पिछले कई दिनों में दिखनी शुरू हो गई है। आने वाले दिनों में इसका प्रकोप बढ़ने का अनुमान है। 

 

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