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सुस्ती के बीच बजट से राहत की बड़ी उम्मीद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 28 2020 3:29PM | Updated Date: Jan 28 2020 3:30PM
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नई दिल्ली। वैश्विक और घरेलू कारकों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कुछ वक्त से धीमी पड़ी हुयी है जिसके कारण विभिन्न क्षेत्रों को अगले वित्त वर्ष के आम बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। प्रमुख उद्योगपतियों ने रोजगार के सृजन के लिए कदम उठाने, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने एवं कृषि क्षेत्र को गति देने वाली  नीतियाँ बनाने की अपील की है। 
 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट पेश करने की तैयारियों में जुटी हुयी हैं। अर्थव्यवस्था को लेकर भारत की चिंताओं के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति भी बेहतर नहीं है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव का असर पूरी दुनिया पर देखा जा रहा है। दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थायें अधिक संकट में दिख रही हैं। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर करीब तीन फीसदी पर है। यह पिछले साल की तुलना में करीब आधी फीसदी कम है। वैश्विक व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित है। 
 
दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार थमती दिख रही है। चालू वित्त वर्ष की सितंबर 2019 में समाप्त दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 फीसद रह गई। यह जनवरी-मार्च 2013 के बाद का निचला स्तर है। जनवरी-मार्च 2013 की तिमाही में विकास दर 4.3 प्रतिशत रही थी। देश में आॅटो मोबाइल से लेकर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं और रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं तक की माँग में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। निजी उपभोग में भी सुस्ती है। 
 
इन सबके बीच मोदी सरकार ने वर्ष 2024-25 तक देश को पाँच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है। वर्तमान स्थिति में इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल प्रतीत हो रहा है क्योंकि अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 2.9 लाख करोड़ डॉलर की है। इसे पाँच लाख करोड़ डॉलर पर ले जाने के लिए जीडीपी वृद्धि दर को कम से कम 11 फीसदी पर ले जाना होगा जो वर्तमान आर्थिक माहौल में संभव होता नहीं दिख रहा है। 
 
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