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बिजली अधिनियम के प्रस्तावित संशोधन आम उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ : एआईपीईएफ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 3 2020 4:01PM | Updated Date: Jan 3 2020 4:02PM
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चंडीगढ़। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने आज आरोप लगाया कि बिजली अधिनियम 2003 के अधिकांश प्रस्तावित संशोधन आम उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ हैं। एआईपीईएफ के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने यहां जारी बयान में कहा कि सबसे बुरी बात आपूर्ति लाइसेंस लाने की है जो केवल नजदीकी खंबे या ट्रांसफॉर्मर से बिजली आपूर्ति या मीटरिंग का कार्य करेंगे।
 
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार बिजली वितरण का निजीकरण किया जाएगा और राज्यों की बिजली कंपनियां बिजली वितरण नेटवर्क संभालेंगी और निजी कंपनियां बिना किसी निवेश के बड़े उपभोक्ताओं से मोटा मुनाफा कमाएंगी जबकि सब्सीडाइज्ड उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति का कार्य सरकारी बिजली कंपनियों को ही करना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि नई दर नीति के तहत निजी कंपनी उपभोक्ताओं से पूरी रकम सुनिश्चित लाभ के साथ वसूलेगी और नतीजतन बिजली बिलों की रकम बढ़ेगी।
 
इस नीति के तहत सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी तीन सालों की कार्यावधि में समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस समय गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग, किसान और कुछ अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली दी जाती है और आपूर्ति की लागत का अंतर औद्योगिक व बड़े उपभोक्ताओं से वसूला जाता है, क्रॉस सब्सिडी समाप्त करने के बाद बिजली आम उपभोक्ताओं के लिए भी काफी महंगी हो जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया भी एक बड़ा घोटाला है।
 
उन्होंने कहा कि कई विकसित देशों में सामान्य मीटर बिना किसी समस्या केकार्य कर रहे हैं। गुप्ता के अनुसार राज्य नियामक आयोगों की भूमिका राष्ट्रीय दर नीति के पालन तक सीमित हो जाएगी जबकि चूंकि बिजली समवर्ती विषय है इस तरह यह राज्यों के अधिकारों पर भी सीधा हमला है।
 
उन्होंने कहा कि राज्य की बिजली कंपनियों के नजरिये से कंप्यूटरीकृत बिजली गणना और मीटरिंग बड़ी समस्या होगी क्योंकि यूनाईटेड किंग्डम जैसे तकनीकी रूप से विकसित देश में भी प्रक्रिया को पटरी पर लाने में पूरा एक दशक लगा था। उल्लेखनीय है कि बिजली अभियंताओं ने आठ जनवरी को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की बुलाई हड़ताल के दिन इस अधिनियम के विरोध में ‘एक दिन के काम का बहिष्कार‘ करने का निर्णय पहले से घोषित किया हुआ है।
 
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