नई दिल्ली। किफायती विमान सेवा कंपनी स्पाइसजेट के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने हवाई किराया वृद्धि और विमान ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत करते हुये बुधवार को उम्मीद जताई कि पिछले करीब एक साल से सुस्त पड़ा भारतीय विमानन क्षेत्र दुबारा पटरी पर लौटेगा। सिंह ने यहाँ एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर में कहा कि भारतीय विमानन क्षेत्र अभी तीन-चार प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। जेट एयरवेज जैसी बड़ी एयरलाइन के बंद होने के बाद यह कोई मामूली वृद्धि दर नहीं है।
भले ही पहले की तरह यह 20 प्रतिशत पर वापस न आये लेकिन आने वाले समय में 10-12 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना संभव होगा। विमान सेवा कंपनियों पर वित्तीय दबाव के बावजूद किराया नहीं बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बिना किसी एयरलाइन का नाम लिये कहा कि किराया मुख्यत: बाजार के बड़े हिस्सेदारों द्वारा तय होता है। यह सही है कि घरेलू विमानन बाजार में किराया तर्कसंगत बनाये जाने की जरूरत है, लेकिन इसकी पहल बाजार में बड़ी हिस्सेदारी रखने वालों की तरफ से होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि घरेलू यात्रियों की संख्या के लिहाज से इस समय इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के करीब है जबकि स्पाइसजेट 15 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है।
सिंह ने कहा कि पिछले कुछ समय में एक और गलत परंपरा यह देखी गयी कि कुछ विमान सेवा कंपनियों ने अंतिम समय में किराया बढ़ा दिया जबकि पारंपरिक रूप से उड़ान का समय जैसे-जैसे नजदीक आता है, किराया बढ़ता है। स्पाइसजेट प्रमुख ने विमान ईंधन को भी वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाये जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इससे सरकारी राजस्व पर सालाना पाँच-साढ़े पाँच हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सरकार 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज के बोझ तले दबी एयर इंडिया को हर साल करीब छह हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। एयर इंडिया के विनिवेश के बाद इस राशि का उपयोग विमान ईंधन को जीएसटी में लाने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किया जा सकता है।