नई दिल्ली। मक्का की खल के सेवन से पशुओं के दूध में वसा की मात्रा बढ़ने से यह दुग्ध उत्पादकों के लिए वरदान साबित हो रही है। हाल के महीनों में दुग्ध उत्पादक किसानों की मक्का खल की मांग में खासी बढ़ोतरी हुई है। इसकी मुख्य वजह इसके सेवन से दूध में वसा की मात्रा अधिक होने से किसानों को दूध के अच्छे दाम मिलना बताया जा रहा है। राजस्थान के एक दुग्ध उत्पादक किसान राम ंिसह ने बताया कि मक्का खल के सेवन से पशुओं का दूध तो बढ़ता ही है।
वसा की मात्रा में भी काफी बढ़ोतरी होती है जिससे दूध के अच्छे दाम मिलते हैं। मक्का खल के प्रमुख सरिस्का ब्रांड के विक्रेता पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि पशु आहार के लिए मक्का खल की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है और यह काफी हद तक बिनौला खल की कमी को पूरा करने में मददगार है। उन्होंने बताया कि एक तो मक्का खल में तेल की मात्रा 14 प्रतिशत है जो बिनौला खल से लगभग दुगुनी है और इसमें ई विटाविन भी होता है। मक्का खल में पानी सोखने की क्षमता सात गुना अधिक होती है।
खल की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी इसकी उत्पादन क्षमता को अगले महीने एक हजार टन प्रति माह से बढ़ाकर दो हजार टन करेगी। मक्का खल की मांग महाराष्ट्र, गुुजरात, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी है। गुप्ता ने कहा कि कुछ किसानों को यह भ्रम है कि मक्का में तेल नहीं होता है। उन्होंने बताया कि मक्का भिगौने के बाद उसके ऊपर नक्का मक्का आयल सीड होता है। सौ किलोग्राम मक्का में पांच किलोग्राम सह उत्पादक मक्का आयल सीड निकलता है।
यह मशीनों में बिनौला, सरसों और तिल की तरह निकलता है जिससे मक्का की खल बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि पहले गुजरात से मक्का की खल मंगाई जाती है लेकिन अब राजस्थान से गुजरात में इसे भेज जा रहा है। जोधपुर के एक दुग्ध उत्पादक किसान ने बताया कि मक्का खल के दूध देने वाले पशुओं को खिलाने उत्पादन में फायदे को देखते हुए इसका अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। राजस्थान के गंगा नगर, लाल सौठ, अजमेर, हनुमानगढ़ और झुंझुनू क्षेत्रों में मक्का खल की मांग तेजी से बढ़ी है।