हापुड़। वर्तमान समय में बाजार में मिलने वाले बोतल बंद पेयजल की गुणवत्ता को लेकर मन में संशय बना रहता है लेकिन भारतीय रेलवे के पेयजल ‘रेल नीर’ की गुणवत्ता पर संदेह नहीं किया जा सकता क्योंकि यह शुद्धता की कई कसौटियों पर कसने के बाद लोगों तक पहुंचाया जाता है। पत्रकारों के एक दल ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के हापुड़ रेल नीर संयंत्र का दौरा किया और शुद्धता से जुड़ी इन प्रक्रियाओं का जायजा लिया। इस दौरान रेल नीर के समूह महा प्रबंधक सियाराम के बताया कि जल को ‘रेल नीर’ बनाने से पहले शुद्धता की आठ प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है। जल की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाता।’’
उन्होंने बताया कि इन आठ प्रक्रियाओं में एक्टिवेटेड कार्बन, सॉफ्टनर, अल्ट्रा फिल्ट्रेशन मेम्बरेन्स, रिवर्स ऑसमोसिस मेम्बरेन्स, कैल्साइट मार्बल मीडिया, टू माइक्रोन फिल्टर्स, अल्ट्रा वायलेट फिल्टर्स और ओजोनेशन शामिल है।’’ एक्टिवेटेड कार्बन के माध्यम से जल के दूर्गंध को दूर किया जाता है, सॉफ्टनर से जल की कठोरता हटाई जाती है, अल्ट्रा फिल्ट्रेशन मेम्बरेन्स प्रक्रिया से कार्बनिक अशुद्धियां दूर की जाती है, रिवर्स ऑसमोसिस मेम्बरेन्स के माध्यम से खनिज लवण, वायरस और बैक्टेरिया समेत सभी अवशिष्ट प्रदूषकों को हटाया जाता है, कैल्साइट मार्बल मीडिया से जल के पीएच को संतुलित किया जाता है।
टू माइक्रोन फिल्टर्स से बचे हुये अन्य प्रदूषकों को दूर किया जाता है। अल्ट्रा वायलेट फिल्टर्स के जरिये बचे हुए वायरस और बैक्टेरिया को नष्ट किया जाता है। शुद्धता की प्रक्रिया के अंतिम चरण में ओजोनेशन के माध्यम से जल की पर्याप्त शेल्फ-लाइफ सुनिश्चित की जाती है। सियाराम ने बताया कि जल की शुद्धता और गुणवत्ता का इतना अधिक ख्याल रखा जाता है कि इन आठ प्रक्रियाओं से पहले भी जल का क्लोरीनेशन किया जाता है। इसके तहत जल में क्लोरीन मिलाकर उसे सात-आठ घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है।
उन्होंने इस वर्ष अप्रैल में शुरू किये गये हापुड़ रेल नीर संयंत्र की विशेषताओं की जानकारी दी और कहा कि यह बहुत बड़े भू-भाग पर स्थित है। ‘रेल नीर’ के लिए यहां पर भूमिगत जल का प्रयोग होता है और यहां 15 फुट की गहराई पर ही पानी उपलब्ध हो जाता है। गंगा नहर भी यहां से नजदीक है।’’ सियाराम ने कहा, ‘‘ हापुड़ रेल संयंत्र से गाजियाबाद, हापुड़, मथुरा, आगरा कैंट, ग्वालियर, झांसी, सहारनपुर, देहरादून, हरिद्वार, मुरादाबाद और बरेली के रेलवे परिसरों में ‘रेल नीर’ की आपूर्ति की जाती है। इस संयत्र में प्रतिदिन एक लाख लीटर जल शुद्ध कर ‘रेल नीर’ बनाया जाता है।’’