नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च ने अर्थव्यवस्था में मंदी छाई रहने की आशंका व्यक्त करते हुए चालू वित्तीय वर्ष में देश की विकास दर 6.7 प्रतिशत ही रहने का अनुमान जताया है। फिट्ज ग्रुप की कंपनी ने इससे पहले इस वर्ष की विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान पेश किया था। एजेंसी के प्रमुख अर्थशास्त्री एवं निदेशक सुनील सिन्हा ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि विकास दर में यह कमी मुख्य रूप से उपभोक्ताओं की मांग घटने और असमान मानसूनी बारिश की वजह से हुई है।
उन्होंने कहा कि घरेलू बचत दर घटने, निजी कार्पोरेट निवेश कम होने और सरकारी खर्च कम होते जाने जैसे कारण भी विकास दर घटने का कारण रहे हैं। उन्होंने कहा कि भिन्न-भिन्न कारणों से लोगों की आय भी नहीं बढ़ रही है जिससे उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में कमी आती गयी और इसका असर औद्योगिक उत्पादन पर भी पड़ रहा है।
सिन्हा ने कहा कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए घोषित किये गये उपायों का खास असर होने की उम्मीद नहीं है। इन उपायों से अर्थव्यवस्था पर कुछ तात्कालिक असर तो दिखाई देगा लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव रहने की संभावना कम ही है। उन्होंने कहा कि बैंकों की गैर निष्पादित सम्पत्ति भी लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है।
बैंकों को पूंजी देने से वे कर्ज देने की स्थिति में तो आ जायेंगे लेकिन फिर कर्ज की वसूली एक समस्या बनी रहेगी। गौरतलब है कि रोजगार के अवसर घटने, उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में कमी, औद्योगिक उत्पादन कम होने और कारखानों आदि से लोगों को नौकरियों से निकाले जाना सरकार की चिंता का विषय बना हुआ है।