नई दिल्ली। भारत का कपास उत्पादन पिछले साल के मुकाबले इस साल 20 से 25 फीसदी तक बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार मानसून की बारिश में सुधार, बुवाई बढ़ने से इस साल उत्पादन बढ़ सकता है। केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान में परियोजना समन्वयक, एएच प्रकाश ने कहा बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है। पूरे उत्पादकों क्षेत्रों में फसल की स्थिति अच्छी है। प्रकाश ने बताया कि यदि मौसम अनुकूल बना रहा तो लगभग 400 लाख गांठों के उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है। मौसम की स्थिति कपास के लिए अच्छी है और बुवाई क्षेत्र भी पिछले साल से बढ़ने की संभावना है। पिछले महीने कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपने कपास उत्पादन के अनुमान को 2018-19 के फसल सीजन के लिए संशोधित किया था।
एसोसिएशन ने कपास उत्पादन 345 लाख गांठों से घटाकर 312 लाख गांठ कर दिया था। ऐसी सबसे बड़ी वजह उत्पादक इलाकों में कम बारिश बताया गया था। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ कपास की बुवाई पिछले वर्ष के स्तर से बढ़ रही है। 26 जुलाई तक कपास की बुवाई का रकबा 109 लाख हेक्टेयर था, जबकि आमतौर पर इस दौरान के आसपास 121 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई होती रही है। इस वर्ष उत्तरी राज्यों में बुवाई में वृद्धि हुई है, जबकि यह मध्य क्षेत्र में पिछले साल के स्तर के करीब है। दक्षिणी राज्यों में अभी भी बुवाई जारी है। प्रकाश ने कहा मध्य भारत और तमिलनाडु में बारिश के बाद बुवाई बढ़ी है। 2018-19 में असमान बारिश से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में रकबा घटने से कपास का सबसे कम उत्पादन दर्ज किया है। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इन राज्यों में कपास किसानों को पिछले मौसम में कम नमी के कारण तीसरी और चौथी बार कपास की तोड़ाई से पहले खड़ी फसल को उखाड़ फेंकना पड़ा।