नई दिल्ली। तमाम दावों और आश्वासनों के बाद देश में आटो सेक्टर का संकट गहराता जा रहा है।कार-बाइक की बिक्री में लगातार भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। डीलर्स बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। हालात यह हैं कि पिछले तीन महीनों में खुदरा विक्रेताओं ने बिक्री में भारी गिरावट की वजह से करीब दो लाख कर्मचारियों की छंटनी की है। यह दावा खुद उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने किया है।
फाडा ने कहा है कि निकट भविष्य में भी स्थिति में सुधार की संभावना नहीं दिख रही है, जिसकी वजह से और शोरूम बंद हो सकते हैं तथा छंटनी का सिलसिला जारी रह सकता है। आपको बता दें कि कार-बाइक मैन्युफैक्चर्स के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में सभी सेगमेंट में वाहनों की बिक्री 12.35 फीसदी घटकर 60,85,406 यूनिट रह गई।
फाडा के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले का कहना है कि बिक्री में गिरावट की वजह से डीलर्स के पास खर्चों में कटौती करने के लिए छंटनी ही एक मात्र विकल्प बचा है। काले ने कहा कि सरकार को वाहन उद्योग को राहत देने के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती जैसे उपाय करने चाहिए। कार-बाइक की बिक्री में आई भारी गिरावट के चलते देशभर में डीलर्स बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं।
उन्होंने कहा, अभी ज्यादातर छंटनियां फ्रंट एंड बिक्री में हो रही है, लेकिन सुस्ती का यह रुख यदि जारी रहता है तो तकनीकी नौकरियां भी प्रभावित हो सकती हैं। यह पूछे जाने पर कि देशभर में डीलरशिप में कितनी नौकरियों की कटौती हुई है, काले ने कहा कि अभी तक दो लाख लोगों को बाहर किया गया है। देशभर में 15,000 डीलरों द्वारा परिचालित 26,000 वाहन शोरूमों में करीब 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। इसी तरह 25 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में रोजगार मिला है।
काले ने बताया कि पिछले तीन माह के दौरान डीलरशिप से दो लाख श्रमबल को कम किया गया है। इससे पहले इस साल अप्रैल तक 18 माह की अवधि में देश में 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हुए हैं, जिसमें 32,000 लोगों की नौकरी गई थी. दो लाख नौकरियों की यह कटौती इसके अतिरिक्त है। काले ने कहा कि अच्छे चुनावी परिणाम और बजट के बावजूद वाहन क्षेत्र में सुस्ती है।
इस साल मार्च तक डीलरों ने श्रमबल में कटौती नहीं की थी, क्योंकि हमें लग रहा था कि यह सुस्ती अस्थायी है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। इस वजह से डीलरों ने श्रमबल में कमी करनी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, हम कर्मचारियों के प्रशिक्षण में काफी निवेश करते हैं। ऐसे में कर्मचारियों को हटाना आखिरी विकल्प है।