अहमदाबाद। भारतीय कंपनी सेक्रेटरी संस्थान (आईसीएसआई) ने आज कहा कि सरकार को देश में विभिन्न कंपनियों के लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष (सीएसआर फंड) की पूरी निगरानी करनी चाहिए तथा इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए किसी स्वतंत्र पेशेवर के जरिये इनका प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) कराने को अनिवार्य बना देना चाहिए। संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजीत पांडेय ने आज यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में कुल लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का सालाना सीएसआर कोष होता है पर अभी इसके खर्च से पैदा होने वाला जमीनी प्रभाव उतना दिखायी नहीं पड़ता। इस कोष में से 70 से 80 प्रतिशत तो सार्वजनिक उपक्रमों का हिस्सा होता है।
सरकार पहले से ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत खर्च कर रही है और ऐसे में सीएसआर कोष का भी ऐसे ही कामों के लिए खर्च किया जाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पैसा सरकारी योजनाओं को मदद पहुँचाने के पूरक के तौर पर खर्च होना चाहिए न कि उन योजनाओं के ही एक भाग के तौर पर। नवाचार युक्त योजनाओं को इस कोष से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सरकार को इस कोष के प्रवाह और अंत में इससे पैदा होने वाले असर तक पूरी निगरानी रखनी चाहिए।
इसके लिए इस कोष के उपयोग का प्रमाणन स्वतंत्र वित्तीय पेशेवरों से कराने को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। पांडेय ने यह भी माँग की कि सरकार को कंपनी सेक्रेटरी को जीएसटी संबंधी ऑडिट अथवा लेखा परीक्षण का अधिकार भी देना चाहिए ताकि लेखा परीक्षण प्रक्रिया के लिए अधिक विकल्प हों ओर यह सस्ती बन सके। उन्होंने निजी क्षेत्र की सभी लिमिटेट कंपनियों के सेक्रेटेरियल आॅडिट का प्रावधान करने की भी माँग की। उन्होंने कहा कि संस्थान ने कॉर्पोरेट प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं।
इनमें दस्तावेजों की पहचान संबंधित यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर को अनिवार्य बनाया जाना शामिल है। इसने लेखा परीक्षण तथा सेक्रेटेरियल मानक भी जारी किये है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि देश भर में सीएस की परीक्षा के लिए 150 केंद्र हैं जिनमें से लगभग 20 गुजरात में हैं और इनमें से दो वापी और गाँधीधाम में इस साल दिसंबर से शुरू किये जा रहे हैं।