गांधीनगर। वेफर और नमकीन के लिए गुजरात का एक घरेलू नाम बालाजी नमकीन्स अपनी महत्वकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना के साथ आने वाले हैं। इसके अंतगर्त वे बाजार में 10 रुपये वाली चिक्की उतारने की तैयारी में हैं। इस परियोजना के साथ ही वह अपने व्यापार को पूरे देश में विस्तृत करने की तैयारी में भी हैं। बालाजी वेफर्स के संस्थापक और निदेशक चंदूभाई विरानी ने बताया, जल्दी ही हम एक बहुत ही पौष्टिक उत्पाद चिक्की लेकर आ रहे हैं और वह भी मात्र 10 रुपये की सस्ती कीमत पर।
यह उत्पाद बहुत ही पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होगा। विरानी ने आगे कहा, "वर्तमान में हमारा देश कुपोषण की बड़ी समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में हम उससे लड़ने के लिए अपने उत्पाद के सहारे योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "गुड़ और मूंगफली से ज्यादा पौष्टिक कुछ भी नहीं है। फिलहाल चिक्की को महाराष्ट्र के लोनावाला का डोमेन माना जाता है, लेकिन हमारी सौराष्ट्र चिक्की उससे हर हाल में बेहतर होगी।
इसे अत्याधुनिक पैकेजिंग के साथ बाजार में उतारा जाएगा, जो दो महीने से अधिक तक चलेगा। चंदूभाई विरानी को विरानियों की अगली पीढ़ी से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में विदेश में भी हमारे प्लांट होंगे, लेकिन फिलहाल हमारी परियोजना भारत के लिए है।" विरानी ने कहा, "हम जल्द ही पंजाब में अपना चौथा प्लांट स्थापित करेंगे, जिसमें करीब 250 करोड़ रुपये का निवेश होगा। हम पूर्व और दक्षिण में भी व्यापार का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।
वर्तमान में इस कंपनी के प्लांट गुजरात के राजकोट, वलसाड और मध्य प्रदेश के इंदौर में हैं, जिसकी कुल क्षमता 7 से 8 लाख किलोग्राम आलू प्रोसेसिंग और लगभग 10 लाख किलोग्राम नमकीन निर्माण करने की है। इस साल करीब 1,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ कंपनी का टर्नओवर 2,000 करोड़ रुपये का है। चंदूभाई ने अपने किराए के घर में आलू के वेफर तलने से लेकर राजकोट में अपने स्कूटर बेचने तक का सफर तय किया है।
चंदूभाई विरानी ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं अपने घर में एकमात्र ऐसा इंसान हूं जिसे पता है कि वेफर को सही तरीके से कैसे तला जाता है। अब हमारे पास 5000 कर्मचारी, 10 राज्यों में 10 लाख दुकानें और 800 डीलरों का नेटवर्क हैं। इसके साथ ही हम 40 देशों में अपने उत्पाद भेजते हैं। भारत और विदेशी प्रमुख प्रतिद्वंदियों के कड़े टक्कर के बावजूद बालाजी की गुजरात व महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में 70 प्रतिशत से अधिक बाजार में हिस्सेदारी है।