नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रियल एस्टेट समूह आम्रपाली के घर खरीदारों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम (रेरा) 2016 के तहत समूह का पंजीकरण मंगलवार को निरस्त कर दिया तथा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को इसकी नोएडा और ग्रेटर नोएडा की लंबित परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने कहा कि एनबीसीसी आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करेगा।
न्यायालय ने पाया कि आम्रपाली समूह ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा प्राधिकरणों के साथ मिलीभगत करके 42 हजार घर खरीदारों के पैसे का गबन किया है। पीठ ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को धनशोधन (मनी लॉड्रिंग) की जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि रियल एस्टेट कंपनी ने मनी लॉड्रिंग की है, फ्लैटों का फर्जी आवंटन किया गया। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि आम्रपाली समूह को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गयी लीज रद्द की जाये।
न्यायालय ने घर खरीदारों की लंबित राशि तीन महीने में रजिस्ट्री में जमा कराने का समूह को आदेश दिया। न्यायालय ने अधिवक्ता आर. वेंकटरमानी को रिसीवर नियुक्त किया है। पीठ ने कहा कि वेंकटरमानी के पास यह अधिकार रहेगा कि वह बकाया वसूली के लिए आम्रपाली की संपत्तियों की बिक्री के वास्ते तीसरे पक्ष से करार कर सकेंगे। मामले की अगली सुनवाई नौ अगस्त को होगी।