नई दिल्ली। नए उद्यमों तथा इनमें पूंजी लगाने वाले निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने कहा है कि स्टार्टअप और निवेशकों की आयकर विभाग जांच नहीं करेगा। आवश्यक घोषणा दाखिल करने वाले और अपनी रिटर्न में समस्त जानकारी उपलब्ध कराने वाले स्टार्ट-अप तथा उनके निवेशक के बारे में किसी तरह की जांच नहीं की जाएगी। यह प्रस्ताव ‘एंजल टैक्स’ के मामले को सुलझाने की दृष्टि से किया गया है।
वित्तमंत्री ने कहा कि निवेशक और उसकी धनराशि के स्रोत की पहचान स्थापित करने का मामला ई-मूल्यांकन व्यवस्था के माध्यम से सुलझाया जाएगा। इसके साथ ही स्टार्ट-अप्स में लगाए धन के लिए आयकर विभाग किसी तरह की जांच नहीं करेगा। इसके अलावा स्टार्ट-अप के लंबित आकलनों तथा उनकी शिकायतों के निवारण के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड विशेष प्रशासनिक प्रबंध करेगा। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आकलन अधिकारी अनुमति के बिना ऐसे मामलों में किसी भी तरह की जांच नहीं करेंगे। वित्त मंत्री ने स्टार्ट-अप के मामले में नुकसान को आगे ले जाने और समायोजित करने की कुछ शर्तों में ढील देने का प्रस्ताव किया है।
उन्होंने स्टार्ट-अप में निवेश करने के लिए रिहायशी मकान की बिक्री से उत्पन्न पूंजीगत लाभ की छूट की अवधि को 31 मार्च 2021 बढ़ाने तथा इस छूट के लिए कुछ शर्तों में ढील देने का भी प्रस्ताव किया है। दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर विशेष रूप से स्टार्ट-अप के लिए टीवी कार्यक्रम शुरू करने का भी प्रस्ताव किया है। यह कार्यक्रम स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने, उनके विकास को प्रभावित करने वाले मामलों, उद्यम और पूंजीपतियों का समन्वय और वित्त पोषण तथा कर नियोजन आदि जैसे मामलों पर चर्चा करने का मंच रहेगा। आर्थिक वृद्धि और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सेमी-कंडक्टर फैब्रीकेशन (एफएबी), सौर फोटो वोल्टिक सेल, लीथियम भंडारण बैटरियों, सोलर इलेक्ट्रिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, कंप्यूटर सर्वर, लैपटॉप आदि जैसे क्षेत्रों में नई तथा उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना के लिए पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आमंत्रित करेंगे।