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‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ में बदलाव की सिफारिश: आर्थिक समीक्षा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 5 2019 12:25AM | Updated Date: Jul 5 2019 12:25AM
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नई दिल्ली। संसद में गुरुवार को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान बेहद सफल रहा है, लेकिन इसमें बदलाव की जरूरत है। समीक्षा में आगे कहा गया है, ‘‘यद्यपि बेटी  बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान ने मदद की है, किंतु लैंगिक असमानता दूर करने के  लिए ऐसे क्रांतिकारी अभियान की जरूरत है जो व्यावहारिक अर्थशास्त्र के  लाभों का उपयोग करता हो। ...अभियान को सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों पर  आधारित होना चाहिए क्योंकि वे भारत में व्यवहार को बहुत ही महत्वपूर्ण  रूप से प्रभावित करते हैं इसलिए महिला-पुरुष समानता की दिशा में बदलाव को  निरूपित करने के लिए इस अभियान को बदलाव (बेटी आपकी धन लक्ष्मी, विजय  लक्ष्मी) का नाम दिया जा सकता है।

 
’’ इसमें कहा गया है कि यह योजना भारत में बाल लिंगानुपात के एक अत्यधिक असंतुलन की समस्या के समाधान के लिए शुरू की गई थी। बेटियों के प्रति लोगों की सोच बदलना आवश्यक था। लोगों को बेटियों को बोझ न मान कर उनकी उपस्थिति से खुशियां मनाने की आवश्यकता थी। जिन 161 जिलों में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ शुरू में लागू किया गया था 2015-16 से 2018-19 के बीच उनमें से 107 जिलों में लिंगानुपात बेहतर हुआ है। औसतन, 161 जिलों का लिंगानुपात वर्ष 2015-16 में 909 से बढ़कर 919 हो गया। समीक्षा में कहा गया है ‘‘निस्संदेह बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का कार्य अभी खत्म नहीं हुआ है क्योंकि सेल्फी पोस्ट करना रातों-रात रूढ़िवादी सोच को बदलने या तोड़ने के बराबर नहीं है हालाँकि सामाजिक मानदंडों का लाभ उठाना निश्चित रूप से सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।
 
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