नई दिल्ली। इन्सोलवेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड से वर्ष 2018-19 के अंत तक जोखिम में फंसे संपदा से जुड़े 94 मामलों में कम से कम 75 हजार करोड़ रुपये की वसूली हुयी है। उद्योग संगठन एसोचैम और बाजार अध्ययन करने वाली कंपनी क्रिसिल के एक संयुक्त यह खुलासा करते हुये कहा गया है कि जोखिम में फंसे संपदा की वसूली दर 43 प्रतिशत रही है। इसमें कहा गया है कि कार्पोरेट इन्सोलवेंसी रिसोलुशन प्रक्रिया के तहत वित्तीय क्रेडिटरों ने गत 31 मार्च तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के दावे किये जिसमें 75 हजार करोड़ रुपये की वसूली हो सकी है। इस रिपोर्ट में आईबीसी की समय सीमा को लेकर भी सवाल उठाते हुये कहा गया है कि इन 94 मामलों के औसत निपटान 324 दिन रहे हैं जबकि आईबीसी में इसके लिए 270 दिनों का समय दिया गया हुआ है।
इसमें कहा गया है कि 31 मार्च 2019 तक 1143 मामले में निपटान के लिए लंबित थे जिनमें से 32 प्रतिशत मामले 270 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ बड़े मामले तक 400 से अधिक दिनों के बाद भी नहीं निपट सके हैं। इसमें कहा गया है कि संपदा पुनगर्ठन कंपनियों द्वारा वसूली में जहां 3.5 वर्ष से 4 वर्ष लग रहे थे , वहीं आईबीसी से इसमें कुछ कमी आयी है। हालांकि विश्व बैंक ने अपनी सुगम कारोबारी 2019 रिपोर्ट में भारत में जोखिम में फंसे संपदा के निपटान में 4.3 वर्ष लगाने का अनुमान लगाया था। इसमें कहा गया है कि आईबीसी में संशोधन किये गये हैं लेकिन फिर भी देश में अभी जोखिम में फंसे संपदा के निपटान के लिए फ्रेमवर्क की प्रक्रिया अभी भी जारी है। निर्धारित समय सीमा में निपटान को एक चुनौती बताया गया है।