नई दिल्ली। स्टील, एल्युमीनियम तथा पेट्रोलियम क्षेत्र में सुस्ती के कारण 31 मार्च को समाप्त हो रही तिमाही में कॉर्पोरेट क्षेत्र की राजस्व वृद्धि दर आधी हो जाएगी। साख निर्धारण एवं बाजार विश्लेषण एजेंसी क्रिसिल की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में कॉर्पोरेट क्षेत्र में राजस्व वृद्धि दर औसतन 16.5 प्रतिशत रही थी जो चौथी तिमाही में घटकर आठ से नौ प्रतिशत के बीच रह सकती है।
इस गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान इस्पात उत्पादों, एल्युमीनियम, प्राकृतिक गैस और पेट्रो-रसायन क्षेत्रों का होगा।
क्रिसिल ने 354 कंपनियों के विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं तथा बीमा (बीएफएसआई) और तेल क्षेत्र की कंपनियों को छोड़ दिया जाये तो इन 354 कंपनियों की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बाजार पूंजीकरण में 67 फीसदी हिस्सेदारी है।
क्रिसिल रिसर्च के वरिष्ठ निदेशक प्रसाद कोपरकर ने कहा - पिछली दो तिमाहियों में कॅमोडिटी तथा बुनियादी ढांचा से जुड़े क्षेत्रों के कारण राजस्व में अच्छी वृद्धि हुई थी। चौथी तिमाही में इन क्षेत्रों की आमदनी कम होने की आशंका है। इनके अलावा निर्माण तथा वाहन क्षेत्र की राजस्व वृद्धि भी कमजोर रहने की संभावना है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, राजस्व वृद्धि में गिरावट की कुछ हद तक भरपाई खुदरा क्षेत्र से होगी जहां ग्राहक धारणा सकारात्मक है। इस तिमाही में हवाई टिकट की कीमतों में तेजी का लाभ विमान सेवा कंपनियों को मिलेगा।
क्रिसिल ने कहा है कि 31 मार्च को समाप्त हो रही तिमाही में कोयले की कीमत में दो फीसदी, लॉन्ग स्टील में एक फीसदी, फ्लैट स्टील में 0.50 फीसदी और अल्यूमीनियम की कीमतों में चार प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान है। इससे इन क्षेत्रों की कंपनियों का राजस्व प्रभावित होगा। तेल की कीमत में भी पांच-छह प्रतिशत की नरमी रह सकती है। इन सभी कॅमोडिटी के दाम कम होने और राजस्व में गिरावट का सीधा असर कंपनियों की लाभ कमाने की क्षमता पर पड़ेगा और तिमाही के दौरान उनका मुनाफा भी कम रह सकता है।