नई दिल्ली। इस वर्ष रियल एस्टेट सेक्टर ने रिकवरी के संकेत दिए हैं। इस वर्ष के दौरान इस सेक्टर में घरों की बिक्री में 50 फीसद तक की वृद्धि देखने को मिली है जो कि प्रमुख शहरों में स्थिर दरों पर और किफायती फ्लैटों की मांग पर आधारित थी। लेकिन साल के अंत में नकदी संकट ने मजबूत वृद्धि की उम्मीद को धराशायी कर दिया। वहीं होमबायर्स घरों की डिलीवरी में देरी से चिंतित रहे। फिर भी जीएसटी कार्यान्वयन एवं सख्त नियमनों के साथ ही नोटबंदी के तीन झटकों के बावजूद इस सेक्टर में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है।
संपत्ति डेवलपर्स और सलाहकारों को उम्मीद है कि 2019 की पहली छमाही में आवास की बिक्री कम रहेगी जिसकी वजह आगामी आम चुनाव और एनबीएफसी का नकदी संकट है। हालांकि अगर अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स पर जीएसटी की दर को वर्तमान के 12 फीसद से घटाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है और एनबीएफसी में जो कि रियल एस्टेट सेक्टर को बड़े पैमाने पर पैसा देता है में नकदी का संकट दूर हो जाता है तो दूसरी छमाही में बिक्री में इजाफा देखने को मिल सकता है।
किफायती आवास के रुप में सेक्टर को नया मूलमंत्र मिलाए जिसने वर्ष 2017 की गिरावट के बाद रेजिडेंशियल सेगमेंट को रिकवरी करने में मदद की। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी और रेरा एवं जीएसटी जैसे दो नियमों के लागू होने के बाद मई और जुलाई 2017 में इस सेक्टर में गिरावट देखने को मिली थी।