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चुनाव में काले धन के इस्तेमाल को नहीं रोक सकते मौजूदा नियम : मुख्य चुनाव आयुक्त

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 16 2018 11:17AM | Updated Date: Sep 16 2018 11:19AM
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नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओ पी रावत ने काले धन को चुनावी प्रक्रिया के लिए बड़ा खतरा बताते हुए माना कि मौजूदा कानून चुनाव में इसके प्रयोग को रोकने में नाकाफी हैं। भारतीय चुनाव व्यवस्था में मौजूद परेशानियों पर बात करते हुए रावत ने कहा कि चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल को रोकने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं हैं। 
 
इसके साथ ही उन्होंने साजिश के साथ डेटा चुराने वाली कैंब्रिज एनालिटिका जैसी कंपनी और फर्जी खबरों को फैलाने वाले लोगों को चुनावी प्रक्रिया के लिए खतरा बताया। रावत शनिवार को अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर ‘भारत में चुनावी लोकतंत्र की चुनौतियां’ मुद्दे पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा,‘चुनाव में धन का दुरुपयोग भारत और भारतीय चुनावों के लिए मुख्य चिंता का विषय है।’ रावत ने कहा कि मौजूदा कानूनी ढांचा, इस समस्या से निपटने में पूरी तरह से उपयुक्त नहीं है, इसलिये आयोग ने इस दिशा में कई सुधारात्मक उपाय सुझाए हैं।'
 
फर्जी खबरों पर रावत ने कैंब्रिज एनालिटिका मामले का जिक्र करते हुए कहा कि फर्जी खबरों के बढ़ते खतरे से वैश्विक जनमत प्रभावित होने की चिंता भी बढ़ गई है। उन्होंने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय देव की पहल पर आयोजित संगोष्ठी की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के विमर्श से ही इन समस्याओं का समाधान निकलेगा। 
 
उन्होंने प्रेस की आजादी को बढ़ावा देने और सोशल मीडिया के सदुपयोग की वकालत भी की। रावत ने कहा कि मीडिया संगठनों को फर्जी खबरों का प्रसार रोकने के लिये वैश्विक स्तर पर अपनाये जा रहे कारगर उपायों को स्वत: अपनाने की पहल करनी चाहिए। रावत ने कहा कि मीडिया का सही इस्तेमाल, फर्जी खबरों पर लगाम और पेड न्यूज से निपटने के लिए चुनाव आयोग काम कर रहा है। 
 
स्टेट फंडिंग फिलहाल मुमकिन नहीं
कार्यक्रम के दौरान रावत ने माना कि चुनाव के वक्त धनबल का इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए बड़ी परेशानी है और फिलहाल इसपर पूर्ण नियंत्रण लगानेवाले तरीके भी भारत में मौजूद नहीं हैं। स्टेट फंडिंग में सरकार राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव के लिए पैसा देती हैं।
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