नई दिल्ली। निकाह, तलाक और अन्य मामलों पर फैसले के लिए शरिया अदालतों के गठन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग को लेकर दायर की गई एक महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया है। पीठ ने याचिका दायर करने वाली जिकरा से कहा कि मुसलमानों में व्याप्त बहुविवाह और निकाह-हलाला के मामले में चल रही सुनवाई में पक्षकार बनने के लिए वह नए सिरे से अर्जी दायर करें।
मुसलमानों में व्याप्त बहु-विवाह की प्रथा एक पुरूष को 4 महिलाओं के साथ विवाह का हक देती है। वहीं, निकाह हलाला में पत्नी को तलाक देने के बाद उससे पुन:विवाह करना चाहता है, तो ऐसी स्थिति में महिला को पहले किसी अन्य पुरूष के साथ विवाह कर, पत्नी की भांति यौन संबंध स्थापित करने होंगे। फिर दूसरे पति से तलाक लेने के बाद इद्दत की अवधि गुजारने के बाद ही वह अपने पहले पति से विवाह कर सकेगी।
उत्तर प्रदेश की रहने वाली 21 वर्षीय जिकरा 2 बच्चों की मां हैं। जिकरा ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि धारा 498ए के तहत तीन-तलाक को क्रूरता जबकि 'निकाह हलाला', 'निकाह मुताह' और 'निकाह मिस्यार' को धारा 375 के तहत बलात्कार घोषित किया जाए। बहु-विवाह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत अपराध है।