नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश अर्थव्यवस्था और अन्य मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है लेकिन संसद में सुचारू ढंग से काम नहीं होने से वह आहत हैं। उप राष्ट्रपति के रूप में उनके एक साल के कार्यकाल पर आधारित पुस्तक, 'मूविंग आॅन..मूविंग फॉरवर्ड, वन ईयर इन आॅफिस' के विमोचन के मौके पर उन्होंने कहा , 'मैं कुछ अप्रसन्न हूं कि संसद में अपेक्षानुसार काम नहीं हो रहा है। अन्य सभी मोर्चों पर चीजें आगे बढ़ रही हैं। विश्व बैंक, एडीबी, विश्व आर्थिक मंच और अन्य जो रेटिंग दे रहे हैं वह प्रसन्नता का विषय है। आर्थिक मोर्चे पर जो भी हो रहा है उससे हर भारतीय को गर्व होना चाहिए।'
उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुशासन बेहद जरूरी है। उनका मानना है कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े व्यक्ति को जनता के समक्ष अपनी उपलब्धियों और कार्यों का लेखा जोखा देना चाहिए। आचरण को आदर्श से ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को मिलकर आम सहमति से काम करना होगा जिससे संसद सुचारू ढंग से चले। यदि संसद ठीक से चलेगी तो विधानसभाओं, निगम और अन्य निकायों को भी प्रेरणा मिलेगी और अंतत देश का युवा भी इससे सीख लेगा।
उप राष्ट्रपति का सभी दलों को सुझाव
उप राष्ट्रपति ने कुछ सुझाव देते हुए कहा कि सभी दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर संसद सदस्यों के लिए संसद के भीतर और बाहर उनके आचरण के बारे में आचार संहिता बनानी चाहिए। दल-बदल विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और उससे जुड़े मामलों का निपटारा शीघ्र होना चाहिए। राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों का तेजी से निपटारा होना चाहिए।
देश की रीढ़ है ग्रामीण भारत
ग्रामीण भारत को देश की रीढ़ करार देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने नारा दिया था 'चलो गांव की ओर।' हमें इसे ध्यान में रखते हुए गांवों, किसानों और कृषि के विकास पर पूरा जोर लगाना होगा। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि खाद्यान के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर तो हो गया है लेकिन जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है उससे निपटने के लिए हमें गांव और किसानों तथा खेती पर जोर देना होगा।